Friday, July 21, 2017

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में सिगरा थानान्तर्गत हुये बवाल में पुलिस द्वारा बवाल कई सुचना देने वाले सख्स और उसके बड़े भाई जो मानवाधिकार कार्यकर्ता है, को ही अभियुक्त बनाए जाने के सन्दर्भ में

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Date: 2017-07-19 16:09 GMT+05:30
Subject: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में सिगरा थानान्तर्गत हुये बवाल में पुलिस द्वारा बवाल कई सुचना देने वाले सख्स और उसके बड़े भाई जो मानवाधिकार कार्यकर्ता है, को ही अभियुक्त बनाए जाने के सन्दर्भ में
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सेवा में,                                                   19 जुलाई, 2017
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली |
विषय : उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में सिगरा थानान्तर्गत हुये बवाल में पुलिस द्वारा बवाल कई सुचना देने वाले सख्स और उसके बड़े भाई जो मानवाधिकार कार्यकर्ता है, को ही अभियुक्त बनाए जाने के सन्दर्भ में |
महोदय,
      आपको यह अवगत कराना चाहता हूँ 16 जुलाई, 2017 को वाराणसी के सिगरा थानान्तर्गत मस्जिद सोठा बासठ पुरानी मस्जिद पर अफवाह फ़ैलाने के बाद हुई दो पक्षों में झड़प में पुलिस ने जानबूझ कर सूचना देने वाले व्यक्ति महताब को ही जान बूझ कर आरोपी और मुख्य अभियुक्तों में से एक बना दिया है | जबकि महताब ने अपने मोबाईल नंबर 8317060693 से एसओ सिगरा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी और 2 बार 100 नंबर पर फोन कर खुद इस होने वाली अनहोनी घटना कई जानकारी दी | लेकिन पुलिस ने उसे मुख्य आरोपी बनाकर नामजद कर दिया | जबकि इस पुरे घटना में महताब वहां उपद्रव करने वालो में नहीं था इसकी पुष्टि सीसी टीवी फुटेज की जाँच कर कराई जा सकती है |
      इसके साथ ही आपको यह भी अवगत कराना है कि महताब के बड़े भाई इदरीश जिनका नाम भी मुख्य अभियुक्त के रूप में पुलिस ने डाला है वो एक सामाजिक व्यक्ति है और उस दिन सायं 7 बजे से 12 बजे तक एक शादी में थे जिसे पुष्टि वहां पर मौजूद अन्य मानिंद लोगो की गवाही लेने पर हो सकती है | विदित हो की ये वही इदरीश अंसारी है जो 16 जून, 2016 को सिगरा थाना अंतर्गत लल्लापुरा क्षेत्र में अवैध सिलेंडर फटने के बाद लोगो को बचाने में खुद को झुलसा दिया और सैकड़ो लोगो की जान बचाई | इसकी पुष्टि जिला प्रशासन से की जा सकती है |
      इसके बावजूद भी पुलिस ने आफताब और इदरीश को मुख्य आरोपी के रूप में नामजद किया है | पुलिस ने ये किसी सबूत के आधार पर किया है या इसमें कोंई और साजिश है इसकी जांच अति आवश्यक है |
      इसके साथ ही आपको यह भी अवगत कराना चाहते है कि इस घटना में अधिवक्ता महेंद्र सिंह मिंटू की तरफ से एक मुकदमा संख्या 481/17 धारा 147,148,323,504, 506, 436, 427, 395 के तहत डा0 ख्वाजा, सज्जाद, खुर्शीद, राजू, रिंकू, सरफराज, बबलू, मुख़्तार, मुंशी, तौफीक और 200-300 अज्ञात के खिलाफ सिगरा थाने में दर्ज कराया |
      विदित हो की इसी केस में एक और मुकदमा संख्या 482/17 धारा 145, 148, 353, 332, 336, 341, 153 A, 427, और 7 CL act के तहत खुर्शीद, मेहताब, इदरीस, बाबू और 100-150 अज्ञात के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया |   
      इसमें सबसे चौकाने वाला तथ्य यह भी है की जिस महेंद्र सिंह मिंटू ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है उस घटना का जिम्मेदार वो भी है उसी के कारण यह घटना घटी | इसके बावजूद भी उसके ऊपर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया |
      जिस महताब ने पुलिस के आला अधिकारियो को इस घटना के होने के अंदेशा पर सूचना दी और एक बड़ा बवाल होने से बच गया पुलिस ने उसके इस काम के लिए पुरस्कृत करने के बजे उल्टे साजिशन उसे ही आरोपी बना दिया |
      आपको यह भी अवगत कराना है कि पुलिस ने दिनांक 18 जुलाई, 2017 को रात में 1:30 मिनट पर महताब और इदरीश के मकान नंबर सी 15/249 लल्लापुरा, थाना सिगरा, वाराणसी के घर में घुसकर दरवाजा तोड़कर घर में महिलाओ और बच्चो से गाली गलौज कर रही थी |
इसके साथ ही मकान नंबर सी 13/280 सी-2 लहंगपुरा, औरंगाबाद, वाराणसी में रात 2:00 बजे मकान में घुसकर जबरदस्ती इदरीश और महताब के छोटे भाई मोहम्मद सईद को उठा ले गई और अभी तक थाने पर ही बैठाई है | जबकि मोहम्मद सईद का इस घटना से कोंई लेना देना नहीं है ना ही मुक़दमे में नाम दर्ज है |
इसके साथ ही आपको यह भी अवगत कराना चाहता हूँ कि दिनांक 19 नवम्बर, 2016 को रात्रि लगभग 10:30 बजे सिगरा थाना, लल्लापुरा चौकी और सोनिया चौकी की पुलिस फ़ोर्स लगभग 20 से 25 की संख्या में पीड़ित के दरवाजे को जोर जोर से पीटने लगे और धक्का देकर दरवाजा खोल दिया और अन्दर आकर तलाशी लेने लगे और पीड़ित के छोटे भाईयो सईद और महताब को पकड़ने के लिए पूछ रहे थे | उस समय पीड़ित के दोनों भाई अपने किसी रिश्तेदारी में गए हुए थे इसलिए मौके पर नहीं थे | जब पुलिस ने उन दोनों को नहीं पाया तो पीड़ित के घर का सामान अस्त व्यस्त कर गाली देते हुए जाते जाते यह धमकी देकर गए कि फिर से आयेगे | जिससे पीड़ित बहुत डर गया और साथ ही पूरे मोहल्ले के समक्ष पीड़ित को पुलिस वालो ने बेज्जत किया | जिसकी शिकायत इदरीश ने माननीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में कई थी साथ ही सीजेएम के न्यायलय में भी पुलिस के इस कृत्य कई शिकायत कई थी | जिसके बाद सिगरा थाने के एसओ ने यह लिखित रिपोर्ट दिया था कि इदरीश के भाई महताब और सईद के खिलाफ कोंई भी मुकदमा थाने में कभी भी पंजीकृत नहीं हुआ है |
कही इसी रंजिशवश ही तो सिगरा पुलिस ने इदरीश और महताब को नामजद किया और उनके छोटे भाई सईद को घर से उठा ले गयी | इसकी सघन जांच कई आवश्यकता है |
      अतः आपसे निवेदन है की कृपया इस मामले को संज्ञान में लेते हुये पुलिस द्वारा किये गए इस षडयंत्र कई उच्च स्तरीय जांच कराने कई कृपा करे और निर्दोष लोगो के खिलाफ अविलम्ब मुकदमा वापस लिया जाय और इस केस में अन्य दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कई जाय |
संलग्नक :
1.       महताब द्वारा 100 नंबर पर किये गए काल की रिकार्डिंग |
2.       महताब द्वारा सीओ सिगरा के नंबर पर किये गए काल की रिकार्डिंग |
3.       महताब द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के नंबर पर किये गए काल की रिकार्डिंग |
4.       सीजेएम न्यायलय में इदरीश द्वारा दिए गए शिकायत पात्र कई प्रति |
5.       सिगरा एसओ द्वारा दी गयी रिपोर्ट कई प्रति


भवदीय


डा0 लेनिन रघुवंशी
सीईओ
मानवाधिकार जाननिगरानी समिति
सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी


Monday, July 17, 2017

Interview: There are no rights without accountability and transparency

(July 17, 2017, Varanasi, Sri Lanka Guardian) “Accountability and transparency are important values for me. There are no rights without accountability and transparency. If as a human rights organization, we are asking for accountability and transparency by the government and corporation, so we need to implement ourselves too,” Lenin Raghuvanshi an eminent human rights defender based in #Varanasi, India told in an interview with the Sri Lanka Guardian’s recently launched initiative “Redefining the Civil Societies in Asia.”

“The people must believe in themselves. The need of the hour is to create new dynamics and debate for plural, humane and inclusive world”, he said
“Our forefathers were freedom fighters. Three of them rose against the tyranny of the Raj in 1857 and were executed,” Lenin recalled his ancestors.
The awards winning defender sat with Nilantha Ilangamuwa of Sri Lanka #Guardian to talk the variety of issues in the area he works.


#pvchr #srilanka #asia #u4humanrights

Friday, July 14, 2017

90-yr-old Dalit man burnt alive for trying to enter temple in UP

90-yr-old Dalit man burnt alive for trying to enter temple in UP
1 message

PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>Fri, Jul 14, 2017 at 12:33 PM
To: cr.nhrc@nic.in
Cc: Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>

To,
The Chairperson
National Human Rights Commission
New Delhi
Dear Sir,
I want to bring in your kind attention towards the news published in Hindustan Times  90-yr-old Dalit man burnt alive for trying to enter temple in UP http://www.hindustantimes.com/india/dalit-man-attacked-set-on-fire-for-entering-temple-in-up/story-oZTmIGHAhck4jLi7lB4mMO.html
Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest.
Thanking You
Sincerely Yours
Lenin Raghuvanshi
Founder and CEO
Peoples' Vigilance Committee on Human Rights



90-yr-old Dalit man burnt alive for trying to enter temple in UP

An elderly dalit man was set on fire for trying to enter a temple in Hamirpur on Wednesday evening.

INDIA Updated: Oct 05, 2015 20:21 IST
Haider Naqvi
Haider Naqvi 
Hindustan Times
The temple where an elderly man was set on fire.
The temple where an elderly man was set on fire.(HT Photo)
A 90-year-old Dalit man died after he was brutally attacked with an axe and set on fire for trying to enter a temple at Hamirpur in Uttar Pradesh, police said on Friday.
The victim, identified as Chimma, had gone to the Maidani Baba temple with his wife, son Durjan and brother on Wednesday evening. He was stopped from entering the temple by a man named Sanjay Tiwari.
When Chimma did not relent, Tiwari allegedly attacked him with an axe and then set him on fire.

The incident took place in the presence of several other worshippers in Bilgaon, a village on the boundary between Hamirpur and Jalaun districts located 140km from Kanpur.
Police said Tiwari had been arrested after he was nabbed by other people present in the area. They said he was drunk at the time of the incident.
An eyewitness said Tiwari had asked Chimma and several others not to enter the temple but they refused.
He said Tiwari became furious and attacked the Dalit man with an axe. While Chimma’s wife screamed for help, Tiwari doused the elderly man with kerosene and set him afire, the eyewitness said.

Tuesday, July 11, 2017

Urgent Petition : BHU पत्रकारिता विभाग में दलित शिक्षिका का उत्‍पीड़न, हिंदी के प्रोफेसर कुमार पंकज पर संगीन FIR


To,                                                                                                  11 July, 2017

The Chairperson

National Human Rights Commission,

New Delhi.

 

Respected Sir,

 I want to bring your kind attention towards the online news published in the Mediavigil "www.mediavigil.com"   on 8 July, 2017  regarding  " BHU पत्रकारिता विभाग में दलित शिक्षिका का उत्‍पीड़न, हिंदी के प्रोफेसर कुमार पंकज पर संगीन FIR "  (Newspaper link annexed).


Therefore it is kind request please take appropriate and immediate action in this matter.   

 
 

Thanking You,

 

Sincerely Yours,

 

Dr. Lenin Raghuvanshi

CEO

Peoples' Vigilance Committee on Human Rights

SA 4/2 A Daulatpur, Varanasi


   
मीडियाविजिल संवाददाता



बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय एक बार फिर गलत कारणों से सुर्खियों में है। बीएचयू के कला संकाय के डीन, पत्रकारिता विभाग के प्रभारी और हिंदी के वरिष्‍ठ अध्‍यापक डॉ. कुमार पंकज के खिलाफ़ शनिवार की दोपहर बनारस के लंका थाने में एक एफआइआर दर्ज हुई है। एफआइआर पत्रकारिता विभाग की रीडर डॉ. शोभना नर्लिकर ने करवायी है जो बीते 15 साल से यहां पढ़ा रही हैं। मामला आइपीसी की धारा 504, 506 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(डी) के तहत दर्ज किया गया है। डॉ. नर्लिकर का आरोप है कि डॉ. कुमार पंकज ने उनके साथ अपशब्‍दों का इस्‍तेमाल किया है, जातिसूचक गालियां दी हैं और जान से मारने की धमकी दी है।


एफआइआर में जो विवरण दर्ज है, उसके मुताबिक घटना बीते 6 जुलाई की है जब कला संकाय के डीन कुमार पंकज ने नर्लिकर के साथ यह अभद्रता की। नर्लिकर ने बताया कि उन्‍होंने इसकी शिकायत चीफ प्रॉक्‍टर से लिखित तौर पर की थी जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसके बाद वे लंका थाना गईं जहां उनकी एफआइआर दर्ज करने से पुलिस ने मना कर दिया। उनका कहना है कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस पर दबाव डालकर मामला दर्ज करने से रोक दिया था। तीन दिन तक भटकने के बाद किसी तरह डॉ. शोभना ने वाराणसी के एसएसपी को फोन पर अपनी व्‍यथा सुनाई जिसके बाद एसएसपी के आदेश से शनिवार की दोपहर मुकदमा दर्ज हो सका।

Dr. Kumar Pankaj


एफआइआर के मुताबिक 6 जुलाई को डॉ. शोभना को कला संकाय प्रमुख ने दोपहर 2 बजे अपने कक्ष में बुलाया और उनसे कहा कि विगत 14 वर्षों से विभाग का माहौल तुमने गंदा कर रखा है।डॉ. शोभना ने जब हाथ जोड़करउनसे कहा कि उनके मुंह से ऐसे शब्‍द ठीक नहीं लगते, तो डॉ. कुमार पंकज ने जातिसूचक शब्‍द का प्रयोग करते हुए भद्दी-भद्दी गालियां दीऔर कहा कि औकात में रहो नहीं तो जान से मरवा दूंगा

एफआइआर में तीन अन्‍य अध्‍यापकों के नाम दर्ज हैं जो इस घटना के प्रत्‍यक्षदर्शी थे- डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्र, स्‍वर्ण सुमन और अमिता। इन तीनों ने संकाय प्रमुा के इस व्‍यवहार पर आपत्ति जतायी थी। डॉ. शोभना ने पुलिस से सुरक्षा की मांग भी की है क्‍योंकि उन्‍हें डर है कि उनके साथ कोई हादसा न हो जाए। बता दें कि डॉ. शोभना पत्रकारिता शिक्षण में आने से पहले पांच वर्ष तक लोकमत समाचार और आइबीएन में बतौर पत्रकार काम कर चुकी हैं।




मीडियाविजिल से फोन पर विशेष बातचीत में उन्‍होंने बताया कि उनके साथ दलित होने के नाते बहुत लंबे समय से दुर्व्‍यवहार और उत्‍पीड़न चल रहा है। उन्‍होंने बताया कि बीती 23 मई से लगातार डॉ. कुमार पंकज उनकी हाजिरी नहीं लगा रहे थे और रिकॉर्ड में अनुपस्थित दर्शा रहे थे। 6 जुलाई को अपने कक्ष में बुलाकर उन्‍होंने पहले डॉ. शोभना की अनुपस्थिति की बात उठायी जबकि 23 मई को खुद पंकज ने ही उनकी परीक्षा ड्यूटी लगाई थी। वे कहती हैं कि उन्‍होंने दिन भर ड्यूटी की थी, सेमेस्‍टर परीक्षाओं में भी मौजूद रही थीं। डॉ. शोभना ने अपनी ड्यूटी के साक्ष्‍य जैसे ही कुमार पंकज को दिखाए, वे भड़क गए और गाली-गलौज करने लगे।

वे कहती हैं, ”जाति के आधार पर गंदी-गंदी गालियां देते रहे।डॉ. पंकज की रिटायरमेंट को छह माह बचे हैं और बीते दो साल से पत्रकारिता विभाग के भी प्रमुख हैं। वे कहती हैं, ”वे मेरी उपस्थिति का साक्ष्‍य देखकर चिढ़ गए। बोले, तुम्‍हें तो मार ही डालूंगा, जिंदा नहीं रहने दूंगा।वे बताती हैं दलित होने के कारण उनका प्रमोशन रोक दिया गया है वरना वे इस वक्‍त पत्रकारिता विभाग की अध्‍यक्ष होतीं। 2011 में ही वे रीडर बन गई थीं और 2014 में उनका प्रमोशन लंबित था जिसे रोक दिया गया। वे आरोप लगाती हैं कि इस सारे उत्‍पीड़न के पीछे मेरी जाति का ही आधार है।
 

डॉ. शोभना ने बताया, "मैं निखिल वागले और राजदीप सरदेसाई के साथ काम कर चुकी हूं। गोल्‍ड मेडलिस्‍ट हूं। महाराष्‍ट्र में मीडिया विशेषज्ञ के रूप में लोग जानते हैं। मेरी क्‍या गलती है सिवाय इसके कि मैं दलित जाति से आती हूं।" उन्‍होंने 6 जुलाई की घटना के बारे में बताया, "साले हरामखोर महाराष्‍ट्र के निचली जाति के दलित साले चमारन आ रहेऔकात में रहो, बोले, वरना तुमको मार डालूंगा। सबके सामने बोलेमुझे सौ बार बोला उन्‍होंने तुम्‍हारी औकात ही नहीं है प्रोफेसर कीचार साले झाड़ू लगाओगे।" डॉ. शोभना ने बताया कि जब चीफ प्रॉक्‍टर को शिकायत करने के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो उन्‍होंने कुलपति जीसी त्रिपाठी से मिलने की कोशिश की लेकिन वे शहर से बाहर हैं।
डॉ. कुमार पंकज से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्‍होंने फोन नहीं उठाया। थोड़ी देर बाद डॉ. पंकज का फोन खुद आया और उन्‍होंने बताया कि ऐसी कोई एफआइआर नहीं हुई है। डॉ. पंकज ने कहा, "एफआइआर कराने के लिए आपको फिजि़कली जाना पड़ता है नकोई एफआइआर नहीं हुई हैउन्‍होंने तहरीर दी होगी।" जब उन्‍हें बताया गया कि मीडियाविजिल के पास एफआइआर की प्रति है, तो वे साफ़ मुकर गए और बोले, "अगर एफआइआर हुई होती तो चीफ प्रॉक्‍टर ने मुझे जानकारी दी होती।"

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Saturday, July 8, 2017

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के मानवाधिकार कार्यकर्ता को आम जन की पैरवी करने के कारण आईसीडीएस विभाग की नियुक्त बडागांव की आँगनवाडी कार्यकत्रियो को विभाग से फटकार सुनने के कारण मानवाधिकार कार्यकर्ता के खिलाफ झूठी शिकायत करने व फर्जी केस में फ़साने की धमकी देने के सन्दर्भ में

सेवा में,                                                                                        8 जुलाई, 2017

श्रीमान अध्यक्ष महोदय,

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,

नई दिल्ली |

विषय : उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के मानवाधिकार कार्यकर्ता को आम जन की पैरवी करने के कारण आईसीडीएस विभाग की नियुक्त बडागांव की आँगनवाडी कार्यकत्रियो को विभाग से फटकार सुनने के कारण मानवाधिकार कार्यकर्ता के खिलाफ झूठी शिकायत करने व फर्जी केस में फ़साने की धमकी देने के सन्दर्भ में |    

महोदय,

आपको यह अवगत कराना चाहता हूँ कि मानवाधिकार जननिगरानी समिति/जनमित्र न्यास एक गैर सरकारी संगठन है जो आमजन के स्वास्थ्य, शिक्षा और मानवाधिकार के मूल्यों को स्थापित करने हेतु पिछले 20 वर्षो से भारत के कई राज्यों सहित उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलो के साथ ही साथ वाराणसी के सभी ब्लाको में काम करती है | जिसके तहत सभी ब्लाको में संस्था के कार्यकर्ता नियुक्त है उसी प्रकार मंगला प्रसाद, पुत्र स्व. भूखनाथ, निवासी मौजा ग्राम-अहिरानी, ग्राम पंचायत-नथईपुर, विकास खंड-बड़ागांव, थाना-फूलपुर, जनपद-वाराणसी को बडागांव व पिंडरा ब्लाक के ग्राम पंचायत बेलवॉ, लखमीपुर, कुआर, हमीरापुर, असवारी अनेई, खरावन, बड़ागांव, पिंडरा, रमईपट्टी, दल्लीपुर में माताओं एवं बच्चों की बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तथा बच्चो के कुपोषण की दर में कमी करने हेतु उन्हें नियुक्त किया गया है | जिसमे उनके द्वारा आमजनों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के विषय में जागरूक करना और संसाधनों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित कराने का कार्य करते है |

इसी काम के सम्बन्ध में मंगला प्रसाद गाँवों की महिलाओ व बच्चो को स्वास्थ्य के प्रति संवेदित करने के साथ ही साथ आंगनवाडी केन्द्रों में मिलाने वाली सुविधाओ, आशा कार्यकर्ती, ए.एन.एम के कार्यो के विषय में भी जागरूक करते है | इसके साथ ही इन सभी से मिलकर इनके काम में सहयोग भी करते है जैसे टीकाकरण के लिए इत्यादि |

इसके साथ ही जिन केन्द्रों पर लापरवाही दिखाई देती है उन केन्द्रों के कार्यकर्ताओं से बात चीत करते है और उसकी पैरवी भी उच्च अधिकारियो से करते है | जो कि इन कर्यकर्तियो को बिलकुल भी पसंद नहीं है |  

इसी क्रम में उपरोक्त ग्राम पंचायत के परियोजना की आंगनवाड़ी केंद्र में मातृ समिति गठन हेतु शासन से शासनादेश आया था । जिस संदर्भ में उपरोक्त ग्राम पंचायत के आंगनबाड़ी कार्यकर्ती एवं मुख्य सेविका से मिलकर मातृ समिति के गठन के लिए बात रखा तो उपरोक्त कर्मचारी द्वारा मातृ समिति गठन कराने की जानकारी से अनभिज्ञ बताया । इस संदर्भ में समेकित बाल विकास परियोजना अधिकारी बड़ागांव से मिले तो उन्होंने भी अपने आपको मात्री समिति गठन से अनभिज्ञ बताया ।

जिस संदर्भ में मुख्य विकास अधिकारी वाराणसी महोदय से मिलाकर बात चीत किये तो उन्होंने अविलंब 30 जून तक मात्री समिति का गठन करने का आदेश दिया | जिस संदर्भ में सीडीपीओ बड़ागांव से बातचीत किया तो उन्होंने साफ जवाब दिया कि हम गठन करा लेंगे तुमसे क्या मतलब जिस संदर्भ में डीपीओ वाराणसी से बातचीत किया तो उन्होंने कहा कि मैं वाराणसी जनपद के सभी सीडीपीओ को सूचित कर दिया हूं कि मिल-जुलकर बातचीत कर मातृ समिति का गठन करें |

इस संदर्भ में पुनः प्रभारी सीडीपीओ बड़ागांव मीरा देवी से बातचीत किया तो उन्होंने कहा मैं गठन करा लूंगी । उपरोक्त कार्यों में आगनवाड़ी कार्यकर्ती मुख्य सेविका, सीडीपीओ, को लापरवाही के कारण विभाग से डॉट भी पड़ रहा था । जिससे नाराज होकर प्रभारी समेकित बाल विकास परियोजना अधिकारी बड़ागांव मीरा देवी के सह पर उपरोक्त विकास खण्ड बड़ागांव की सैकड़ों आंगनबाड़ी कार्यकर्ती द्वारा मिथ्या आरोप लगाया गया कि मंगला प्रसाद राजभर द्वारा आगनवाड़ी केंद्र का जाँच कर कमियॉ निकाल कर शोषण, उत्पीड़न व धन उगाही किया जाता है । जिसपर झूठा आरोप लगाकर 26 जून 2017 को जिलाधिकारी वाराणसी महोदय को कार्यालय वाराणसी में प्रार्थना पत्र दिया गया जो प्रार्थना पत्र हस्तनान्तरित होते हुये प्रभारी पुलिस चौकी कठिराव थाना फूलपुर जनपद वाराणसी को कार्यवाही करने हेतू मिला |

जिसपर प्रभारी पुलिस चौकी कठिराव महोदय 4 जून 2017 को मंगला को बुलाये जिसपर सुबह में भी उनके साथ पुलिस चौकी कठिराव के साथ पहुची जहाँ पर प्रार्थना पत्र में लगाये गये आरोप का जानकारी मिला जो आरोप सरासर गलत एवं निराधार था । जिसपर प्रभारी पुलिस चौकी कठिराव महोदय द्वारा शिकायतकर्ता आगनवाड़ी से फोन पर बात की तो उन्होंने आने में असमर्थता जताते हुए अपनी व्यस्तता बतायी । जिसके बाद उपरोक्त आरोप का  साक्ष्य सुबह 5 जून 2017 को लेकर पुलिस चौकी कठिराव पहुँचा जिसके बाद प्रभारी पुलिस चौकी कठिराव महोदय द्वारा शिकायत कर्ता आगनवाड़ी से फोन पर बात की तो उन्होंने आने में असमर्थता जताते हुए अपनी व्यस्तता बतायी । 06 जून 2017 को सुबह प्रभारी पुलिस चौकी कठिराव महोदय हमे फोन कर बुलाये कि शिकायतकर्ता आगनवाड़ी कार्यकर्ती पुलिस चौकी कठिराव में आयी है आइये आमने-सामने बात हो कि क्या बात है पहुँचने के बाद प्रभारी पुलिस चौकी कठिराव महोदय द्वारा शिकायतकर्ता आगनवाड़ी कार्यकर्ती से बयान लिया गया ।

उपरोक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ती में से ज्यादातर आंगनबाड़ी कार्यकर्ती ने पहली बार हम प्रार्थी को देखा वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार यह आरोप लगाया जा रहा था कि पोषण मैपिंग करते समय वजन मशीन से बच्चों को यह वजन करते हैं वह मशीन हम सभी कार्यकर्ताओं के वजन मशीन से भिन्न है इसके बाद जो बच्चा उसमें से कुपोषित निकलता है उसका यह तुरंत कहीं ना कहीं शिकायत कर देते हैं जिस पर हम सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर दबाव पढ़ने लगता है कमियां मिलने पर कार्यकर्ती के अधिकारियों द्वारा डाटा फटकारा जाता है । यही आरोप उपरोक्त उपस्थित सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ती द्वारा लगाया जा रहा था जिसके बाद प्रभारी पुलिस चौकी कठिराव थाना फूलपुर वाराणसी महोदय द्वारा हम प्रार्थी को वापस घर जाने के लिए बोल दिया गया कि जो भी कार्यवाही होगा उसको हम विवेचना लगाकर जिलाधिकारी महोदय को रिपोर्ट कर देंगे जिसके बाद हम वापस पुलिस चौकी से चले गए । जिसके बाद उपरोक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा 9451845157, 9792501257 नम्बर से मंगला को फोन कर सीडीपीओ कार्यालय बड़ागांव वाराणसी में बुलाया जा रहा था और कहां जा रहा था कि जो आपने प्रार्थना पत्र दिया है उस प्रार्थना पत्र के संदर्भ में हम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मन माफ़ित हस्ताक्षरित रिपोर्ट दीजिये ।

लेकिन मंगला ने ऐसा करने से मना कर दिया तो उपरोक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा तरह-तरह का झूठा आरोप लगाकर थाना फूलपुर में मंगला के खिलाफ केस करने की  धमकियां देने लगी ।

अतः आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए इस पूरे प्रकरण की जांच कराते हुए झूठे आरोप लगाने वाली दोषी कार्यकर्तियो के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करे |

 

 

भवदीया

श्रुति नागवंशी

मैनेजिंग ट्रस्टी

मानवाधिकार जननिगरानी समिति

सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी


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