Monday, August 13, 2018

मोदी जी, अपने संसदीय क्षेत्र के इस स्‍कूल के बच्‍चों की मदद करें, ये बच्‍चे खतरे में हैं

--------- Forwarded message ----------
From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: 2018-08-13 17:26 GMT+05:30
Subject: मोदी जी, अपने संसदीय क्षेत्र के इस स्‍कूल के बच्‍चों की मदद करें, ये बच्‍चे खतरे में हैं
To: cp.ncpcr@nic.in
Cc: lenin <lenin@pvchr.asia>


To,
The Chairperson
National Commission for Protection of Child Rights
New Delhi

Dear Sir,

I want to bring in your kind attention towards the news published in Live VNS on 13th August, 2018 regarding मोदी जी, अपने संसदीय क्षेत्र के इस स्‍कूल के बच्‍चों की मदद करें, ये बच्‍चे खतरे में हैं https://livevns.in/2018/08/13/modiji-help-these-children-in-your-parliamentary-area-these-children-are-in-danger/

Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest.

Thanking You
Sincerely Yours
Lenin Raghuvanshi
Founder and CEO
Peoples’ Vigilance Committee on Human Rights


मोदी जी, अपने संसदीय क्षेत्र के इस स्‍कूल के बच्‍चों की मदद करें, ये बच्‍चे खतरे में हैं

बनारस। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी, ये नाम आते ही लोग विकास की बात करने लगते हैं। संपन्नता और विकास का एक खाका दिलो- दिमाग मे खिंचने लग जाता है। इस शहर में विकास के कई कार्य हुए हैं, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन शायद यहां करने के लिये अभी बहुत से काम हैं। कुछ काम तो ऐसे हैं, जिनपर जितनी जल्‍दी हो सके ध्‍यान देने की आवश्‍यक्‍ता है, वरना किसी बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता।
ऐसा दरअसल हम नहीं, बल्‍कि खुद पीएम के संसदीय क्षेत्र में स्‍थित एक विद्यालय ‘कह’ रहा है। आइये विस्‍तार से जानते हैं।
कभी भी धराशाई हो सकता है ये स्‍कूल
वाराणसी ज़िला मुख्यालय से कुछ दूरी पर मौजूद है पांडेयपुर पुलिस चौकी। इसके ठीक पीछे स्थित है पिसनाहरिया पूर्व माध्यमिक विद्यालय। यहां की तस्वीरें यहां पढ़ने आ रहे भारत के भविष्यों का हाल बताने के लिए काफी है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान की तकरीबन 200 साल पुराने भवन में चल रहे स्‍कूल में छात्र-छात्राएं ही नहीं प्रिंसिपल और टीचर भी डर के साये में पठन-पाठन को मजबूर है। आज हाल ये है कि 82 बच्‍चों वाले इस स्‍कूल में सिर्फ दो कमरे ही बच्‍चों के लिये ठीक-ठाक कंडीशन में है। इन दो कमरों में ही किसी तरह पढ़-लिखकर इस कम्‍पटीशन के युग में ये बच्‍चे अपना भविष्‍य संवरने की उम्‍मीद पाले हुए हैं।
यहां से पढ़कर निकले हैं कई क्रांतिकारी 
इस संबंध में Live VNS ने बात की विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक ताहिर अली खान से। ताहिर ने बताया कि इस स्‍कूल ने गुलाम भारत को आज़ाद होते हुए देखा है। बहुत से क्रांतिकारी इसी स्कूल से पढ़कर आगे बढ़े हैं, लेकिन 200 वर्ष पुराने इस भवन को अब कोई पूछने वाला नहीं है।
दो कमरे में 82 बच्‍चे
ताहिर बताते हैं कि इस इलाके के पुराने लोग अक्सर यहां 15 अगस्त और 26 जनवरी को आज़ादी और गणतंत्र के पर्व पर आते हैं। ये लोग अपनी याद ताजा करते हुए इसे ऐतिहासिक इमारत बताते हैं। मगर, आज यही ऐतिहासिक इमारत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इसकी वजह से विद्यालय में पढ़ने वाले कुल 82 बच्चों की जान पर जोखिम बना हुआ है। विद्यालय प्रशासन की ओर से बच्‍चों को अब सिर्फ दो कमरों में ही बिठाकर पढ़ाया जा रहा है।
ये दो कमरे भी खस्‍ताहाल हैं
प्रभारी प्रधानाचार्य ने बताया कि यह पूर्व माध्यमिक विद्यालय है। इस विद्यालय में कक्षा 6 से 8 तक कि क्लास जर्जर भवन की वजह से दो कमरों में चल रही है। इसमे बरसात में मैदान से होता हुआ पानी कमरे में आ जाता है। और तो और छत से भी पानी टपकता है, जिससे मजबूरन पढ़ाई को रोकना पड़ता है।
जैसे जैसे जर्जर हुआ भवन, सिमटती गयी पढ़ाई
प्रभारी प्रधानाचार्य ताहिर ने हमें बताया कि स्कूल जैसे-जैसे जर्जर हुआ, वैसे-वैसे सिमटते-सिमटते दो कमरों में महदूद हो गया। सुरक्षा की दृष्टि से जर्जर भवन की तरफ छात्रों को अब हमलोग जाने भी नहीं देते हैं। फिर भी डर बना हुआ है कि न जाने कब ये दो कमरे भी धराशाई हो जाएं। उस वक्‍त बड़ी अनहोनी हो सकती है। अगर ये दो कमरे भी टूट गये तो बच्‍चे कहां पढ़ेंगे इस बात की चिंता भी सताती है।
ऊपर यमराज, नीचे सरस्‍वती 
प्रभारी प्रधानाचार्य इस बात से भी चिंतित दिखे कि जिस कमरे में हम पढ़ा रहे हैं, वो भी जर्जर है। कभी भी कुछ हो सकता है। यहां अपने-अपने परिजनों के आंखों के तारे कुल 82 नौनिहालों का जीवन संवारने का काम हो रहा है, लेकिन जिस भवन में पढ़ाई हो रही है उसे देखकर ऐसा ही लगता है कि ऊपर यमराज बैठे हैं और नीचे सरस्‍वती की उपासना हो रही है।
अब सवाल उठना लाजमी है कि… 
बनारस के सांसद नरेन्‍द्र मोदी और सूबे के मुखिया योगी आदित्‍यनाथ की सरकार शिक्षा की गुणवत्‍ता को लेकर काफी सजग और गंभीर होने का दावा तो करती है, लेकिन इस बेहद खतरनाक हो चुके विद्यालय भवन की हकीकत अबतक उनकी निगाह में क्‍यों नहीं आयी। ”सब पढ़ें, सब बढ़ें” का नारा तो दे दिया गया मगर क्‍या कोई भी मां-बाप ऐसे स्‍कूल में अपने बच्‍चों को भेजना गंवारा समझेगा।
हमें उम्‍मीद है कि… 
हमारी ये खबर शायद देश के पीएम, जिनका ये संसदीय क्षेत्र भी है और प्रदेश के सीएम सहित वाराणसी के डीएम तक जरूर पहुंचेगी। जिससे इस स्‍कूल में पढ़ने वाले बच्‍चों को कम से कम एक ढंग का भवन मयस्‍सर हो सकेगा। इन बच्‍चों को शहर के बड़े-बड़े कॉन्‍वेंट स्‍कूलों की तरह हाई-फाई भवन, स्‍विमिंग पूल या हॉर्स राइडिंग ट्रैक नहीं बल्‍कि चंद ढंग के कमरों का स्‍कूल ही मिल जाए।
देखें वीडियो, किस तरह खतरनाक हो चुके विद्यालय में पढ़ रहे पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के ये 82 बच्‍चे

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