Friday, July 31, 2020

यूपी: दरोगा ने तोड़ा हाथ फिर कहा, पिटाई से बचना है तो कबूल लो मर्डर, आपबीती सुना फफक कर रोया भाई

--------- Forwarded message ---------
From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: Fri, Jul 31, 2020 at 11:38 AM
Subject: यूपी: दरोगा ने तोड़ा हाथ फिर कहा, पिटाई से बचना है तो कबूल लो मर्डर, आपबीती सुना फफक कर रोया भाई
To: cr.nhrc <cr.nhrc@nic.in>, <chairnhrc@nic.in>, covdnhrc <covdnhrc@nic.in>, NHRC <ionhrc@nic.in>
Cc: lenin <lenin@pvchr.asia>



To, 
The Chairperson 
National Human Rights Commission 
New Delhi

Respected Sir, 

I want to bring in your kind attention towards the news published in Amar Ujala on 30 July, 2020 regarding यूपी: दरोगा ने तोड़ा हाथ फिर कहा, पिटाई से बचना है तो कबूल लो मर्डर, आपबीती सुना फफक कर रोया भाई   https://www.amarujala.com/photo-gallery/uttar-pradesh/kanpur/up-the-policeman-broke-his-hand-and-said-if-you-want-to-avoid-beating-then-confess-murder?pageId=3

Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest. 

Thanking You


Sincerely Yours


Lenin Raghuvanshi

Convenor 

Peoples' Vigilance Committee on Human Rights 


यूपी: दरोगा ने तोड़ा हाथ फिर कहा, पिटाई से बचना है तो कबूल लो मर्डर, आपबीती सुना फफक कर रोया भाई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर देहात, Updated Thu, 30 Jul 2020 12:31 PM IST

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ब्रजेश हत्याकांड- फोटो : amar ujala
   
कानपुर देहात अपहरण कांड में असल गुनहगार पकड़ने के बजाय पुलिस ने अपहरण होने की जानकारी पर कानपुर से पहुंचे ब्रजेश के मौसेरे और फुफेरे भाई पर खूब जुर्म ढाया। दोनों को पकड़कर पुलिस ने जमकर पीटा और कहा कि कबूल करो कि ब्रजेश की हत्या तुम्हीं लोगों ने की है। वर्ना पिटाई चलती रहेगी।

पुलिसिया जुल्म की दास्तां बुधवार को अकबरपुर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे ब्रजेश के मौसेरे भाई अखिलेश ने रोते हुए बयां की। चौकी इंचार्ज की पिटाई से उसके सिर व कान मेें भी चोट आई, लेकिन खाकी का दिल नहीं पसीजा। उसने बताया कि चौकी प्रभारी ने बृजेश के फुफेरे भाई का हाथ तोड़ दिया था। ब्रजेश के लापता होने से लेकर शव बरामद होने तक पुलिस की जांच का दायरा सिर्फ परिजनों तक ही सीमित रहा|


ब्रजेश के लापता होने की जानकारी पर उसके परिजन घर पहुंच गए तो पुलिस ने उन्हीं को निशाना बनाना शुरू कर दिया। कानपुर नगर के बिधनू थाना क्षेत्र के भूमिहर गांव निवासी मौसेरे भाई अखिलेश ने बताया कि ब्रजेश के लापता होने की जानकारी पर 17 जुलाई को चौरा गांव पहुंचा था। दूसरे दिन चौकी इंचार्ज उसे व ब्रजेश के फुफेरे भाई मुकेश को थाने ले गए। वहां उन दोनों को तीन दिनों तक रखा गया।
इस दौरान पुलिस लगातार पीटती रही। उनसे कहा जाता था कि कबूल करो की तुम्ही लोगों ने मर्डर किया है। पुलिस उनसे शव छिपाने की जगह पूछती रहती थी। आरोप लगाया कि चौकी इंचार्ज ने मुकेश के हाथ पर पैर रखकर मोड़ दिया था। इससे उसका हाथ टूट गया। मारपीट के बाद भी जब पुलिस को कुछ भी हासिल न हुआ तो तीन दिन बाद दोनों को 21 जुलाई को छोड़ा गया। इसके बाद मुकेश ने अस्पताल जाकर टूटे हाथ का प्लास्टर कराया। अखिलेश के सिर व कान में चोट के अभी तक निशान हैं।

पिता के बुढ़ापे की लाठी बनना चाहता था ब्रजेश
मृतक ब्रजेश धर्मकांटा में नौकरी करने के साथ ही बी-फार्मा की पढ़ाई भी कर रहा था। पिता शिवनाथ ने बताया कि बड़ा बेटा राजेश कानपुर में मेडिकल स्टोर किए है। उनके गैस टैंकर ड्राइवर होने के कारण छोटा बेटा ब्रजेश धर्मकांटा में नौकरी कर घर का खर्च चला रहा था। माली हालत ठीक न होने के कारण वह प्राइवेट नौकरी के साथ-साथ भोगनीपुर स्थित एचसीएचएस फार्मेसी कालेज से बी-फार्मा की पढ़ाई कर रहा था। पहले सेमेस्टर की परीक्षा कोरोना के कारण टल गई थी। उन्होंने रोते हुए कहा कि कई बार ब्रजेश कहा करता था कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सरकारी नौकरी करेगा।







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Sunday, July 26, 2020

संचारी रोग नियंत्रण अभियान के संदर्भ में


From: JMN PVCHR <jmn.pvchr@gmail.com>
Date: Fri, Jul 24, 2020 at 9:31 PM
Subject: संचारी रोग नियंत्रण अभियान के संदर्भ में
To: <cmup@nic.in>


सेवा में 
माननीय मुख्यमंत्री 
उत्तर प्रदेश शासन 

माननीय मुख्यमंत्री महोदय आपके निर्देशानुसार संचारी रोग नियंत्रण अभियान उत्तर प्रदेश में संचालित है, गत वर्ष विशेष अभियान के अधीन स्वास्थ्य कार्यकर्ता समुदाय के बीच जाकर जागरूक कर रहे थे साथ ही जिन स्थानों पर पानी का ठहराव या रुका हुआ पानी , कीचड़ आदि था वंहा दवाओं जा छिड़काव किया जा रहा था ।
इस हम सभी कोविड19 महामारी से जूझ रहें हैं और निश्चित रूप से आप महोदय के नेतृत्व में अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश की स्थिति काफी नियंत्रण में है एवं जनता को राहत पैकेज की सहायता भी प्राप्त हो रहें हैं ।
किंतु जंहा हम महामारी से जूझ रहें हैं वंही पानी का ठहराव जिन स्थानों पर है वंहा दवाओं का छिड़काव नही किया जा रहा है, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से इस संदर्भ में पूछने वे अपनी व्यस्तता कोविड19 सन्दर्भ में सर्वे आदि में बता रहें हैं । जबकि बरसात के महीना  तमाम संक्रामक बीमारियों का समय है । ग्राम प्रधान अपने अन्टाइड फंड का उपयोग करके दवाओं का छिड़काव बेहतर तरीके से कर सकतें हैं किंतु वे कोई रुचि नही ले रहें हैं ।

अतः आप महोदय से विनम्र निवेदन है कि, इस संदर्भ में आदेश जारी करें जिससे संचारी अभियान को सफलता मिले । 

श्रुति नागवंशी 




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Wednesday, July 22, 2020

झारखंड में अब तक 1200 से ज़्यादा महिलाओं को डायन बताकर मार दिया गया है


From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: Wed, Jul 22, 2020 at 2:24 PM
Subject: झारखंड में अब तक 1200 से ज़्यादा महिलाओं को डायन बताकर मार दिया गया है
To: <chairnhrc@nic.in>, cr.nhrc <cr.nhrc@nic.in>, covdnhrc <covdnhrc@nic.in>
Cc: Shruti Nagvanshi <shruti@pvchr.asia>, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>



To, 
The Chairperson 
National Human Rights Commission 
New Delhi

Respected Sir, 

I want to bring in your kind attention towards the news published in Youth Ki Aawaz on 21 July, 2020 regarding झारखंड में अब तक 1200 से ज़्यादा महिलाओं को डायन बताकर मार दिया गया है https://www.youthkiawaaz.com/2020/07/more-than-1200-women-have-been-killed-in-jharkhand-in-the-name-of-witch-practice-hindi/


Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest. 

Thanking You

Sincerely Yours

Shruti Nagvanshi
Managing Trustee
Peoples' Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR)

and 

Shirin Shabana Khan
Program Director 
Peoples' Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR)


झारखंड में अब तक 1200 से ज़्यादा महिलाओं को डायन बताकर मार दिया गया है

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ओझा-गुनी, झाड़-फूंक और जादू-टोना के अंधविश्वास में आकर झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के साथ शोषण-उत्पीड़न, सामूहिक बलात्कार, अत्याचार व उनकी हत्या का सिलसिला बदस्तूर जारी है। आदिवासी, दलित, पिछड़े व अनपढ़ इलाकों में अंधविश्वास के वशीभूत लोगों द्वारा भविष्य के परिणाम की चिंता किए बिना ऐसे कृत्यों को लगातार अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है।

इसके विरुद्ध सरकार, शासन और समाज का कोई अंकुश नहीं रह गया है। मैला पिलाना, सर मुंडवाकर निर्वस्त्र घुमाना, भीड़ की शक्ल में बेइंतहा शारीरिक यातनाएं देना, पेड़ों से बांधकर निजी अंगों पर लाठियां बरसाना और अंत में डायन का आरोप मढ़कर उसकी हत्या कर देना, एक ऐसा खौफनाक मंज़र है जिसे देखकर मनुष्य की पाशविकता का सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

जिस समाज में इस तरह की दकियानुसी विचारधारा के तहत घटनाओं को अंजाम दिया जाता हो, उस समाज में शिक्षा व उत्तरोत्तर विकास की कल्पना करना बेईमानी ही होगी। अनपढ़, गरीबी, बेरोज़गारी व मुख्य धारा से अलग-थलग वाले समाज में अक्सर ऐसी घटनाओं से लोग रुबरु होते रहे हैं।

डायन के नाम पर हत्या कहीं साज़िश तो नहीं!

डायन बताकर महिला को पीटा गयाप्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Getty Images

खेती-बारी, घर-द्वार, संपत्ति हड़पने की साज़िशों के तहत, वर्षों पुरानी बीमारी से अस्वस्थ किसी की मौत हो जाने की स्थिति में, फसलों को पहुंच रहे नुकसान में, रहस्यमय तरीके से किसी के खो जाने की स्थिति में अथवा किसी अन्य कारणवश गर्भावस्था में ही बच्चे की मृत्यु हो जाने की स्थिति में इस घिनौनी साज़िश को अंजाम दिया जाता है।

इसमें या तो कोई परिवार अथवा किसी सन्तानविहीन बुज़ुर्ग महिला की हत्या कर दी जाती है या फिर मोड़े मांझी और दिशोम बैसी की अदालत में उसका सामुहिक बहिष्कार (बिठलाहा) कर दिया जाता है।

आदिवासी-दलित व पिछड़ी जाति की बहुलता वाले क्षेत्रों में ओझा-गुनी, झाड़-फूंक, जादू-टोना का ज़बरदस्त प्रभाव देखा जाता है। छोटे-छोटे स्वार्थ की खातिर ग्रामीण क्षेत्रों में किसी की ज़िन्दगी बिना किसी ठोस आरोप के या तो बर्बाद कर दी जाती है या फिर परंपरागत दंड लागू कर उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है।

इतना ही नहीं, इसे मनुष्य की पाशविकता का चरमोत्कर्ष भी कहा जा सकता है। ऐसे मामलों में अक्सर विधवा और निःसंतान महिलाओं को ही निशाना बनाया जाता है। शंका की छोटी सी भी सूई जहां किसी के इर्द-गिर्द घुमी, उसे प्रताड़ित करना प्रारंभ कर दिया जाता है।

महिलाओं को निर्वस्त्र कर गाँवों में घुमाने की कैसी प्रथा?

निर्दोष महिला को डायन बताकर पहले तो उसकी निर्मम पिटाई की जाती है फिर निर्वस्त्र कर गाँव-टोलों में घुमाया जाता है। इसके बाद उस पर आरोप लगाकर या तो उसे गाँव से निकाल दिया जाता है या फिर अत्याचार कर उसकी हत्या कर दी जाती है।

अंधविश्वास की आड़ में निरीह, बेबस व लाचार महिलाओं से दुश्मनी निकालने का यह क्रुरतम कृत्य झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मेघालय व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में समय-असमय देखने को मिल ही जाता है।

झारखंड के गोड्डा में साल 2004 में क्या हुआ था?

witch practiceप्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Getty Images

वर्ष 2004 में झारखंड के गोड्डा ज़िलान्तर्गत महुआसोल गाँव में दो अधेड़ उम्र की महिलाओं को डायन के नाम पर सिर्फ इसलिए ज़िंदा जला दिया गया था, क्योंकि गाँव के एक व्यक्ति की क्षत विक्षित लाश मिली थी, जिसके कुछ अंग गायब थे।

अंधविश्वास में जकड़े गाँव वालों ने इसका दोष इन महिलाओं पर लगाया था। इस घटना ने पूरे राज्य को शर्मसार कर दिया था। सरकार, शासन, समाज व स्वैच्छिक संगठनों की भारी किरकिरी हुई थी। मनुष्य की इस पाशविकता पर अर्से तक बहस चलती रही लेकिन परिणाम अंततः सिफर ही रहा।

ना तो ऐसी घटनाओं पर अंकुश ही लगाया जा सका और ना ही ऐसे घृणित अपराधों के विरुद्ध जन-जागरुकता ही फैलाई गई। हालांकि वर्ष 2016 में 'डायन कहकर प्रताड़ना' के विरुद्ध कानून बनाने का प्रयास हुआ लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इस संबंध में कोई कठोर कानून नहीं बन सका। भूमि व संपत्ति हड़पने, शराबखोरी व स्त्रियों से दुष्कर्म के लिए भी उन्हें डायन घोषित कर मार दिए जाने की घटनाएं आज भी अक्सर घटती रहती हैं।

पश्चिमी सिंहभूम के इलाकों में डायन प्रथा का अधिक बोलबाला

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, दुमका, गोड्डा, देवघर और खूंटी में इस तरह की विभत्स घटनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में बुज़ुर्ग महिलाओं की जान का खतरा हमेशा बना रहता है। पश्चिम सिंहभूम के कई गाँव और कस्बे आज भी डायन बताकर बुज़ुर्ग और निःसंतान महिलाओं को प्रताड़ित करने के लिए कुख्यात है।

एक अनुमान के मुताबिक, राज्य में हर माह डायन के आरोप में एक से दो महिला की हत्या कर दी जाती है। वर्ष 2017 में डायन के आरोप में दस महिलाओं की हत्या कर दी गई थी। वहीं, पश्चिम सिंहभूम में डायन के आरोप में पिछले 5 वर्षों के तक़रीबन 37 महिलाओं की हत्या की जा चुकी है।

हालांकि सरकार, प्रशासन, स्वैच्छिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन क्षेत्रों में लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद ऐसी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। राज्य बनने के बाद से अब तक इस तरह की घटनाओं में 1200 महिलाओं की मौत हो चुकी है।

क्या ऐसी घटनाओं से हम सीख लेते हैं?

डायन बताकर महिलाओं पर अत्याचार व हत्या का समाचार अखबारों की सुर्खियां ज़रूर बनती हैं मगर ऐसी घटनाओं से सीख कोई नहीं लेता। गांव-कस्बों में रसूखदार, लोगों द्वारा ओझा, गुनीन, गुनिया, भोपा व तांत्रिकों के जरिए अनपढ़ व निरक्षर लोगों को उकसाकर महिलाओं और पुरुषों को डायन, डाकन, डकनी, टोनही करार दे कर उन्हें मार दिया जाता है।

डायन बताकर हत्या की घटनाओं के पीछे असली वजह संपत्ति विवाद, जातिगत द्वेष या फिर राजनीतिक उद्देश्य छिपा होता है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में गरीबी, अशिक्षा व इनके बीच फैले कुसंस्कार का फायदा उठाकर कुछ स्वार्थी तत्व अपना उल्लू सीधा करते रहे हैं।

ज़मीन, खेत, गाय रखने वालों की हत्या केवल संपत्ति पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से किया जाता है। कई मामलों में हत्या से पहले बलात्कार भी किया जाता है। वास्तव में डायन के नाम पर महिला का यौन शोषण से लेकर उसकी ज़मीन, जायदाद हड़पने व आपसी रंज़िश की स्थिति में पूरे परिवार की हत्या कर देना इस खेल का असली चेहरा होता है।

हालांकि भारत में इस कुप्रथा के खिलाफ कड़े कानून मौजूद हैं। डायन हत्या का मामला गैर जमानती, संज्ञेय व अपराध है। इसकी सज़ा 3 साल से लेकर आजीवन कारावास या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकती है। इसके अलावा किसी को डायन घोषित करना, डायन बताकर किसी पर अत्याचार करना, डायन का आरोप लगाकर निवस्त्र करना और डायन के नाम पर किसी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने जैसे अपराधों के लिए देश में कड़े कानून मौजूद हैं।

इसके अतिरिक्त डायन हत्या की रोकथाम के लिए बिहार, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ व असम में विशेष कानून भी बनाये गए हैं लेकिन इन सबके बावजूद डायन के आरोप में महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं निरंतर घटित हो ही रही हैं।

ऐसे में महिलाओं को खुद जागरुक होना होगा तथा पुरुष प्रधान समाज में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज़ करानी होगी। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली महिलाओं को विरोध का प्रतिकार भी बुलंद रखनी होगी। निर्दोष महिलाएं तभी हैवानियत के शिकार से बचाई जा सकती हैं। अन्यथा अंधविश्वास के नाम पर महिला हिंसा की घिनौनी साज़िश जारी रहेगी।



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People's Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR)

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Saturday, July 18, 2020

Action Taken Report Called for(ATR) - 11371/24/49/2020-BL




---------- Forwarded message ---------
From: <nhrc.india@nic.in>
Date: Sat, Jul 11, 2020 at 5:05 AM
Subject: Action Taken Report Called for(ATR) - 11371/24/49/2020-BL
To: <dmmah@nic.in>, <adm.mg-up@gov.in>, <anup.pvchr@gmail.com>


Case No.- 11371/24/49/2020-BL
NATIONAL HUMAN RIGHTS COMMISSION
(LAW DIVISION)
* * *
MANAV ADHIKAR BHAWAN, BLOCK-C,
G.P.O. COMPLEX, INA, NEW DELHI- 110023
Fax No.: 011-24651332    Website: www.nhrc.nic.in
 

Date : 10/07/2020  
To,
THE DISTRICT MAGISTRATE

MAHARAJGANJ UTTAR PRADESH


THE SUB DIVISIONAL MAGISTRATE

MAHARAJGANJ UTTAR PRADESH


 
Sub : Complaint from

DR LENIN RAGHUVANSHI
VARANASI
VARANASI , UTTAR PRADESH
221002
Email- anup.pvchr@gmail.com , Mob No- 9935599331

 
Subject: Action Taken Report Called for(ATR) -11371/24/49/2020-BL.
 
Sir/Madam,
 
         The complaint dated 11/06/2020, was placed before the Commission on 10/07/2020. Upon perusing the complaint, the Commission directed as follows:
 
 
         The complainant has alleged that 21 persons have been held as bonded labourers at a brick kiln named Maa Udyog Dada situated at Village Baragdawa, PS Maharajganj, District Maharajganj, Uttar Pradesh. It is further alleged that the workers are being physically assaulted by the owner.

Transmit the petition to the DM, Maharajganj, Uttar Pradesh with directions to depute a competent officer immediately for a spot enquiry and identification of bonded labour, if any. If bonded labourers are found, immediate steps must be taken for their release and rehabilitation. Enclose a copy of complaint for reference.

An Action Taken Report should be submitted to the Commission within four weeks positively.
 
 
2.         Accordingly, I am forwarding herewith a copy of the complaint as an attachment for taking appropriate action in the matter as per the directions of the Commission. It is requested that an Action Taken Report be sent to the Commission within 4 weeks from the date of receipt of this letter.
 
 

Your's faithfully

Sd/-

Indrajeet Kumar

ASSISTANT REGISTRAR (LAW)

M-2 Section

Ph. No. 011-24663287

CC to

Complainant Details

Case No. 11371/24/49/2020-BL

DR LENIN RAGHUVANSHI

VARANASI

VARANASI , UTTAR PRADESH

221002

Email- anup.pvchr@gmail.com , Mob No- 9935599331


Indrajeet Kumar

ASSISTANT REGISTRAR (LAW)

M-2 Section

Ph. No. 011-24663287

Disposed with Directions(DWD) - 8471/24/72/2020




---------- Forwarded message ---------
From: <nhrc.india@nic.in>
Date: Mon, Jul 13, 2020 at 12:40 PM
Subject: Disposed with Directions(DWD) - 8471/24/72/2020
To: <sspvns-up@nic.in>, <anup.pvchr@gmail.com>


Case No.- 8471/24/72/2020
NATIONAL HUMAN RIGHTS COMMISSION
(LAW DIVISION)
* * *
MANAV ADHIKAR BHAWAN, BLOCK-C,
G.P.O. COMPLEX, INA, NEW DELHI- 110023
Fax No.: 011-24651332    Website: www.nhrc.nic.in
 

Date : 13/07/2020  
To,
 
THE SENIOR SUPERINTENDENT OF POLICE

VARANASI UTTAR PRADESH


 
 
Sir/Madam,
 
         The complaint dated 13/05/2020, received from DR LENIN RAGHUVANSHI in respect of CHANDAN BANWASI AND GUDDU BANWASI, was placed before the Commission on 13/07/2020. Upon perusing the complaint, the Commission directed as follows:
 
 
          The complainant has alleged that the victims, belonging to Scheduled Caste, were placed under quarantine by the state after they returned from Ahemdabad to Varanasi due to the Covid-19 lockdown. On 11/05/2020, the victims were using the village handpump outside their quarantine centre when a group of 4-5 people came and assaulted them for using the handpump. The accused persons beat up the victims with sticks and stones and greviously injured the victims. The complainant is seeking Commission's intervention for necessary action.

Transmit a copy of the complaint to the SSP Varanasi, Uttar Pradesh for necessary action.
 
 
2.         Accordingly, I am attaching scanned copy of the complaint for necessary action as per the directions of the Commission.
 
 

Yours faithfully

Sd/-

Indrajeet Kumar

ASSISTANT REGISTRAR (LAW)

M-2 Section

Ph. No. 011-24663287

CC to


Complainant Details:
Case No. 8471/24/72/2020
DR LENIN RAGHUVANSHI
VARANASI
VARANASI , UTTAR PRADESH
221002


Sd/-

Indrajeet Kumar

ASSISTANT REGISTRAR (LAW)

Ph. No. 011-24663287


उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लोहता थानान्तर्गत पत्रकार मो० बाबर का मानसिक उत्पीड़न करने के सम्बन्ध में


From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: Mon, Jul 13, 2020 at 1:21 PM
Subject: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लोहता थानान्तर्गत पत्रकार मो० बाबर का मानसिक उत्पीड़न करने के सम्बन्ध में
To: <pcibpp@gmail.com>
Cc: lenin <lenin@pvchr.asia>



                                               

सेवा में,

 श्रीमान् अध्यक्ष महोदय,

 भारतीय प्रेस परिषद्

 नई दिल्ली|

 

महोदय,

     विदित हो कि 10 जुलाई, 2020 को धारा न्यूज़ चैनल में उपसम्पादक मो० बाबर पुत्र मोहम्मद कमरुल हुदा निवासी ग्राम-धन्नीपुर, थाना-लोहता, जिला- वाराणसी ने आकर मदद की अपील की| (संलग्नक -1)

बाबर में अपने पत्र में बताया कि 28 मार्च, 2020 को लाक डाउन के दौरान ग्राम सभा धन्नीपुर के ग्राम प्रधान फकीर अली को बस्ती के लोगो ने लिखित व मौखिक शिकायत कि कोटेदार गुलाब चन्द्र पटेल द्वारा कम यूनिट से राशन दिया जा रहा है| ग्राम प्रधान जी ने मुझसे मीडियाकर्मी होने के नाते हमसे मदद मांगी और कहाँ कि ख़बर निकलने पर कोटेदार पर दबाव बन सकता है| इस सम्बन्ध में मैंने धारा न्यूज़ चैनल में ख़बर प्रकाशित की "कोटेदार पर राशन कम देने का आरोप" प्रकाशित किया| अभी मुझे थाने से सूचना मिली कि कोटेदार ने मेरे खिलाफ़ शिकायत की है और कागज जांच के लिए आई हुई है|

महोदय, उन्होंने आगे बताया कि कोटा मेरे घर के रास्ते में पड़ता है जब भी हम अपने अपने घर से बाहर निकलते है तो वह मुझे रोककर धमकी देता है कि "मै तुमको किसी भी केस में फसा दूंगा" और "अगर मेरे साथ कुछ भी हुआ तो उसका जिम्मेदार तुमको बना दूँगा"| ख़बर प्रकाशित होने के बाद आये दिन कोटेदार और उसके दोस्त मुझे तरह - तरह से धमकी देकर मेरा मानसिक उत्पीड़न कर रहे है|

7 जुलाई 2020 को कोटेदार गुलाब पटेल ने मुझे थाने के गेट के बाहर धमकी दी तुम्हे तो रंगदारी के केस में फसाऊँगा नही तो जान से मरवा दूंगा| उसकी यह धमकी को सुनकर मैंने तुरंत इस सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र लिखकर थानाध्यक्ष महोदय को दिया| लेकिन उसपर कोई भी कार्यवाही नहीं हुआ|

     अतः आपसे निवेदन है कि इस मामले में अविलम्ब हस्तक्षेप करके कार्यवाही का आदेश करे जिससे बाबर को न्याय मिल सके और उसका संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हो सके|

आपकी महती कृपा होगी|

 

भवदीय

लेनिन रघुवंशी

संयोजक

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लोहता थानान्तर्गत पत्रकार मो० बाबर का मानसिक उत्पीड़न करने के सम्बन्ध में


From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: Mon, Jul 13, 2020 at 1:33 PM
Subject: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लोहता थानान्तर्गत पत्रकार मो० बाबर का मानसिक उत्पीड़न करने के सम्बन्ध में
To: cr.nhrc <cr.nhrc@nic.in>, <chairnhrc@nic.in>, covdnhrc <covdnhrc@nic.in>, NHRC <ionhrc@nic.in>
Cc: lenin <lenin@pvchr.asia>



                                                 

सेवा में,

 श्रीमान् अध्यक्ष महोदय,

 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

 नई दिल्ली|

 

महोदय,

     विदित हो कि 10 जुलाई, 2020 को धारा न्यूज़ चैनल में उपसम्पादक मो० बाबर पुत्र मोहम्मद कमरुल हुदा निवासी ग्राम-धन्नीपुर, थाना-लोहता, जिला- वाराणसी ने आकर मदद की अपील की|

बाबर में अपने पत्र में बताया कि 28 मार्च, 2020 को लाक डाउन के दौरान ग्राम सभा धन्नीपुर के ग्राम प्रधान फकीर अली को बस्ती के लोगो ने लिखित व मौखिक शिकायत कि कोटेदार गुलाब चन्द्र पटेल द्वारा कम यूनिट से राशन दिया जा रहा है| ग्राम प्रधान जी ने मुझसे मीडियाकर्मी होने के नाते हमसे मदद मांगी और कहाँ कि ख़बर निकलने पर कोटेदार पर दबाव बन सकता है| इस सम्बन्ध में मैंने धारा न्यूज़ चैनल में ख़बर प्रकाशित की "कोटेदार पर राशन कम देने का आरोप" प्रकाशित किया| अभी मुझे थाने से सूचना मिली कि कोटेदार ने मेरे खिलाफ़ शिकायत की है और कागज जांच के लिए आई हुई है|

महोदय, उन्होंने आगे बताया कि कोटा मेरे घर के रास्ते में पड़ता है जब भी हम अपने अपने घर से बाहर निकलते है तो वह मुझे रोककर धमकी देता है कि "मै तुमको किसी भी केस में फसा दूंगा" और "अगर मेरे साथ कुछ भी हुआ तो उसका जिम्मेदार तुमको बना दूँगा"| ख़बर प्रकाशित होने के बाद आये दिन कोटेदार और उसके दोस्त मुझे तरह - तरह से धमकी देकर मेरा मानसिक उत्पीड़न कर रहे है|

7 जुलाई 2020 को कोटेदार गुलाब पटेल ने मुझे थाने के गेट के बाहर धमकी दी तुम्हे तो रंगदारी के केस में फसाऊँगा नही तो जान से मरवा दूंगा| उसकी यह धमकी को सुनकर मैंने तुरंत इस सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र लिखकर थानाध्यक्ष महोदय को दिया| लेकिन उसपर कोई भी कार्यवाही नहीं हुआ|

     अतः आपसे निवेदन है कि इस मामले में अविलम्ब हस्तक्षेप करके कार्यवाही का आदेश करे जिससे बाबर को न्याय मिल सके और उसका संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हो सके|

आपकी महती कृपा होगी|

 

भवदीय

लेनिन रघुवंशी

संयोजक

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UP: पुलस कडी मदलत को बेरहमी सेपीटकर तोड़ डाला पैर, आरोप- इतना मारा क पीड़त नेकर दी पेशाब


From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: Tue, Jul 14, 2020 at 1:03 PM
Subject: UP: पुलस कडी मदलत को बेरहमी सेपीटकर तोड़ डाला पैर, आरोप- इतना मारा क पीड़त नेकर दी पेशाब
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To, 
The Chairperson 
National Human Rights Commission 
New Delhi

Respected Sir, 

I want to bring in your kind attention towards the news published in JanSatta on 19 October, 2020 regarding UP: पुलस कडी मदलत को बेरहमी सेपीटकर तोड़ डाला पैर, आरोप- इतना मारा क पीड़त नेकर दी पेशाब https://www.jansatta.com/crime-news-hindi/uttar-pradesh-three-cops-booked-for-torturing-dalit-man-in-police-custody-bulandshahr-sc-st-commission-jsp/1194542/

Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest. 

Thanking You

Sincerely Yours

Lenin Raghuvanshi
Convenor 




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MP Farmer Suicide Bid: CM Orders Removal of Guna SP, Collector


From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: Thu, Jul 16, 2020 at 2:54 PM
Subject: MP Farmer Suicide Bid: CM Orders Removal of Guna SP, Collector
To: <chairnhrc@nic.in>, covdnhrc <covdnhrc@nic.in>, NHRC <ionhrc@nic.in>, cr.nhrc <cr.nhrc@nic.in>
Cc: lenin <lenin@pvchr.asia>


To, 
The Chairperson 
National Human Rights Commission 
New Delhi

Respected Sir, 

I want to bring in your kind attention towards the news published in the Quint on 16 July, 2020 regarding MP Farmer Suicide Bid: CM Orders Removal of Guna SP, Collector https://www.thequint.com/news/india/dalit-farmers-consume-poison-madhya-pradesh-guna-land-eviction


Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest. 

Thanking You

Sincerely Yours

Lenin Raghuvanshi
Convenor 


MP Farmer Suicide Bid: CM Orders Removal of Guna SP, Collector

The Guna administration was trying to evict the family from a government-owned land when the incident happened.

Updated: 16 Jul 2020, 10:03 AM IST
INDIA
3 min read
Policemen beating locals in Guna village after a couple consumed pesticide.Policemen beating locals in Guna village after a couple consumed pesticide.
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A Dalit farmer couple consumed pesticide in front of their children and police officers in Madhya Pradesh's Guna after police tried to destroy their crops in a bid to evict the couple's family from a piece of "government-owned land".

Ramkumar Ahirwar has been practising cultivation on a piece of land in Guna which is reportedly owned by the State government. The Guna administration had ordered the setting up of a Model College on that piece of land. According to local media reports, there were previous attempts made to vacate the land. But the administration had been unsuccessful in laying the foundation stone so far.

Nirmal Rathore, Tehsildar of Guna City, who was present at the spot on the day of the incident, 14 July, and under whose watch the eviction drive was being carried out said:

"After taking measurement of the land, when the encroachment was being removed with JCB machines, the farmer couple tried to kill themselves by consuming poison."
Children of the couple cry holding the unconscious bodies of the parents.
Children of the couple cry holding the unconscious bodies of the parents.(Photo: Accessed by The Quint)

IG Gwalior Range Raja Babu Singh told The Quint,"A person named Dabbu Pardhi is the real squatter on government land. He has multiple criminal cases against him too. He had sublet his land to the Ahirwar family for tilling."

The Quint is trying to reach out to the said accused in connection with the story. The text will be updated as and when he responds.

Pardhi is a nomadic tribal community, found mostly in Madhya Pradesh and Maharashtra, who were among the 150+ tribes labelled "Criminal" by the British government under the 1871 Criminal Tribes Act. After India got Independence, these tribes were denotified but activists say the stigma attached to the Pardhi community is far from being over and the members of the tribe are often falsely accused in criminal cases.

FIRs Against the Couple, 'Attempt to Suicide' Charge Illegally Added

Rajkumar and his wife were immediately shifted to the nearest government hospital and the latter is said to be critical. Meanwhile, the police have registered FIRs against Rajkumar, his wife Sabitri and other locals present at the spot. Among other charges, Section 353 of the IPC (Assault or criminal force to deter public servant from discharge of his duty, Section 309 of the IPC (Attempt to suicide) have been added to the FIR.

However, under Section 115 of the Mental Healthcare Act 2017, "any person who attempts to commit suicide shall be presumed, unless proved otherwise, to have severe stress and shall not be tried and punished under" the Indian Penal Code.

Videos Show Police Thrashing Locals, IG Denies

Videos that have surfaced on social media showed policemen thrashing other locals present at the spot, including children.

Policemen seen thrashing locals at the site of the incident.
Policemen seen thrashing locals at the site of the incident.(Photo: Accessed by The Quint)

IG Singh told The Quint, "The video has been clipped and is being shared as police weilding lathis on locals but the police was actually trying to shoo away the people who were resisting the cops from taking the unconscious farmer couple to the hospital."

Chouhan Govt Faces Flak, Removes Guna SP and Collector

Opposition leaders hit out at the newly-formed Shivraj Singh Chouhan government in the state over the incident and demanded strict action.

Former MP Chief Minister Kamal Nath took a dig at CM Shivraj Singh Chouhan alleging him of running a "jungle raj" in the state.

After facing massive flak on social media, the Guna SP and the Collector, who had ordered the eviction drive and defended police action, were removed from their posts on Wednesday, 15 July.

Madhya Pradesh Home Minister Narottam Mishra, in a tweet, said a high-level inquiry has been ordered into the matter.





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