Date: Tue, Aug 13, 2019 at 3:30 PM
Subject: rejoinder in case no. 20432/24/55/2019
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Human Rights Diary : सोलर लाइटों, रंगीन दीवारों के पीछे चीख रहे हैं उम्भा के हरे ज़ख्म
सोनभद्र के घोरावल से करीब 25 किलोमीटर दूर उम्भा गांव में 16 जुलाई, 2019 को हुई गोलीबारी की आपराधिक घटना को महीना भर होने आ रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आज वहां गांववालों से मिलने गई हैं। इससे पहले भी उन्होंने उम्भा जाने की कोशिश घटना के तत्काल बाद की थी लेकिन उन्हें बीच रास्ते में ही प्रशासन ने रोककर नज़रबंद कर दिया था।
दस आदिवासियों की जिंदगी लील लेने वाले इस ऐतिहासिक हादसे के बाद महीने भर के घटनाक्रम का जायज़ा लेने के लिए मानवाधिकार जन निगरानी समिति और "गांव के लोग" की एक टीम सोमवार को ही उम्भा से होकर आयी है।
अपनी ज़मीन के हक़ के लिए लड़ते हुए शहीद हुए दस आदिवासियों को सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर 18 लाख 50 हजार की रकम प्रति शहीद परिवार प्रदान की है। वहीं प्रियंका गांधी की पहल पर कांग्रेस पार्टी ने दस लाख रुपया प्रति शहीद परिवार दिया है। कुल 21 घायलों को सरकार की ओर से दो लाख रुपया दिया गया है किन्तु अभी लोगों ने खाता की जांच नहीं की है कि पैसा पहुंचा या नहीं। दूसरी तरफ अतिगंभीर नौ घायलों को कांग्रेस ने एक-एक लाख रूपया दिया है।
गोली मारने वाले जेल में हैं किन्तु लोग अब भी डरे हुए हैं। प्रशासन और भाजपा ने लोगों को हिदायत दे रखी है और पुलिस की गाड़ी लगातार गांव में घूम रही है। पुलिस और पीएसी ने प्राइमरी स्कूल पर कब्ज़ा कर लिया है। यहां के लोगों में डर को देखकर मैं कश्मीर के हालात के बारे में सोचने लगा।
उम्भा की सुखवंती गोली लगाने से बहुत गंभीर रूप से घायल हैं, किन्तु कुछ भी बताने से कतरा रही हैं क्योंकि प्रशासन का उन पर दबाव है। उनका बेटा जयप्रकाश जिसको माथे पर छर्रा लगा है और बायीं तरफ गोली मार कर निकल गयी है, पहले तो हमें देख कर सहम गया लेकिन आराम से पूछने पर उसने सारी बात बतायी। जयप्रकाश नवीं कक्षा का विद्यार्थी है। इस घटना के बाद से वह स्कूल नहीं जा पा रहा है। यहां हमारी मुलाक़ात 65 वर्ष के एक व्यक्ति से हुई जिनका नाम छोटेलाल है। इनके माथे और पैर में छर्रा लगा है। ऐसी गंभीर चोट वाले कुल 21 व्यक्ति इस गांव में हैं!
घटना के बाद से गांव का रंग रूप बड़ी तेजी के साथ बदल रहा है। अब यहां की सड़क कुछ दूरी तक बड़े नेताओं के आने की वजह से जल्दी में बना दी गयी है। घटना के बाद कई नेताओं, पत्रकारों और मुख्यमंत्री के हुए दौरे के बाद कुछ घरों में सोलर लाइट लगाने का काम शुरू हो चुका है।
बनारस से सटे सोनभद्र जनपद में 16 जुलाई 2019 को दबंग भूमाफिया ने अवैध तरीके से आदिवासियों की जमीन हथियाने के लिए खूनी खेल खेला। हथियारबंद 300 लोगों ने निर्दोष आदिवासियों पर करीब आधे घंटे तक अंधाधुंध फायरिंग की। इस घटना में 10 आदिवासी मौके पर मारे गए और 21 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
बड़ी बात यह है कि घटना के समय आदिवासियों ने सोनभद्र के एसपी व कलेक्टर से लेकर सभी आला अफसरों को फोन किया। सभी के मोबाइल बंद मिले। 100 डायल पुलिस आई, पर तमाशबीन बनी रही। इस पुलिस के सामने ही चार आदिवासियों को गोलियों से छलनी किया गया। घोरावल थाना पुलिस के अधीन वाले इस इलाके में पुलिस तब पहुंची, जब हत्यारे नरसंहार कांड रचने के बाद सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए।
घटना के बाद मौके पर कोई प्रशासनिक अफसर नहीं गया। सत्तारूढ़ दल के किसी नेता ने भी शोक संवेदना व्यक्त करने की जरूरत नहीं समझी। अलबत्ता पुलिस नरसंहार कांड की अगुवाई करने वाले ग्राम प्रधान यज्ञदत्त के घर की सुरक्षा करती नजर आई। इस मामले में घोरावल पुलिस तो कठघरे में थी ही, सोनभद्र के एसपी और डीएम भी कम कसूरवार नहीं।
उम्भा में मानवाधिकार निगरानी समिति की टीम के सदस्यविवादित जमीन का इतिहास यह है कि मिर्जापुर के कलेक्टर रहे एक आइएएस अफसर ने आदिवासियों की जमीन हथियाई और बाद में उसे भू-माफिया के हाथ बेच दिया। 1955 से मुकदमा लड़ रहे आदिवासियों को न्याय नहीं मिला। जमीन राजा बड़हर की थी और बाद में वह ग्राम सभा की हो गई। रिश्वतखोर अफसरों ने योजनाबद्ध ढंग से उनकी जमीन भू-माफिया के हवाले कर दी।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि आदिवासियों से उनकी जमीन छीनने के लिए दर्जनभर लोगों को गुंडा एक्ट में निरुद्ध किया गया और उन्हें जिलाबदर भी करवा दिया गया। करीब 60 आदिवासियों पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए, जिसकी आड़ में पुलिस ने जमकर मनमानी की।
मानवाधिकार जन निगरानी समिति ने change.org पर राज्य सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नाम #SonbhadraKeAdivasi सोनभद्र नरसंहार कांड के शिकार आदिवासी लोगो की वेदना सुनिए" नामक पिटीशन जारी किया, जिस पर 880 लोगो ने हस्ताक्षर किया।
प्रियंका गांधी ने पहल कर इस मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया है। मानवाधिकार आयोग से पहले और उससे ज्यादा तेज़ न्याय की प्रक्रिया को शुरू किया है. उनके इस प्रयास को महात्मा गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन के रूप में देखा जा सकता है।
सोनभद्र कांड के संबंध में कुछ तत्काल मांगें
- सोनभद्र में ट्रस्ट, समिति व अन्य संस्थान बना कर भूमि चोरी करने वालों के खिलाफ लूट व डकैती की प्राथमिकी दर्ज हो।
2. जो ट्रस्ट अस्तित्व में नहीं उनसे इस तरह की जमीन वापस लेकर स्थानीय गरीबों को आवंटित की जाए।
3. सोनभद्र में व्यापक पैमाने पर भूमि घोटाले हुए। इसकी निष्पक्ष जांच के लिए राजस्व न्यायिक आयोग का गठन किया जाए।
4. सोनभद्र में राजस्व अदालतें पैसे पर बिक चुकी हैं, ऐसे में रेवेन्यू फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जाए।
5. इस नरसंहार के लिए जिम्मेदार सरकारी महकमे के लोगों को चिन्हित कर हत्या का मुकदमा दर्ज हो।
6. सन् 2012 से 2017 के बीच जिले में हुए राजस्व फैसलों की समीक्षा हाई कोर्ट के जज से कराई जाए, इन वर्षों में जिले में हुए भूमि आवंटन की जनसुनवाई व समीक्षा की जाए।
7. सीलिंग एक्ट में निकल रही हजारों हेक्टेयर जमीन आज भी कई गांवों में बेनामी है। उन्हें चिन्हित कर गरीबों में वितरित किया जाए।
8. हत्यारों का व इस घटना के जिम्मेदार लोगों का सम्बंध किस राजनीतिक दल से है इसका खुलासा किया जाए।
9. नरसंहार में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा व उस जमीन का आवंटन किया जाए।
10. प्राइमरी स्कूल से पुलिस को हटाया जाए, मिडिल स्कूल के साथ आवासीय आश्रम स्कूल शुरू किया जाए।
11. वनाधिकार अधिनियम के तहत गांव वालों द्वारा दिए आवेदनों का निस्तारण किया जाए।
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