From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: Wed, Jul 1, 2020 at 2:53 PM
Subject: भुखमरी के कगार पर वाराणसी के बुनकर, गहने-घर गिरवी रखकर पेट पालने को मजबूर, हड़ताल की तैयारी
To: cr.nhrc <cr.nhrc@nic.in>, covdnhrc <covdnhrc@nic.in>, NHRC <ionhrc@nic.in>
Cc: lenin <lenin@pvchr.asia>
Date: Wed, Jul 1, 2020 at 2:53 PM
Subject: भुखमरी के कगार पर वाराणसी के बुनकर, गहने-घर गिरवी रखकर पेट पालने को मजबूर, हड़ताल की तैयारी
To: cr.nhrc <cr.nhrc@nic.in>, covdnhrc <covdnhrc@nic.in>, NHRC <ionhrc@nic.in>
Cc: lenin <lenin@pvchr.asia>
To,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकरों की हालत बदहाल है। कभी बुनकर यहां की शान थे लेकिन बीते कुछ महीनों से स्थिति बुरी हो गई है। फिर कोरोना और लॉकडाउन ने इनकी कमर तोड़ दी। पावरलूम और हैंडलूम बंद पड़े हैं। बुनकर भुखमरी की कगार है। बुनकर मजदूर दूसरों की मदद के सहारे जी रहे हैं।
कई लोगों ने कर्ज लेकर और गहने गिरवी रखकर छोटी-मोटी दुकान शुरू कर दी है ताकि कुछ गुजारा हो सके। हालत यह है कि एक दिन अगर खाने का जुगाड़ हो भी जाए तो दूसरे दिन क्या होगा, कैसे होगा, इसका कुछ अंदाजा नहीं। अपनी बदहाली और सरकार की अनदेखी से नाराज बुनकरों ने 1 जुलाई से 7 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
बुनकरों ने की बिजली बिल में सब्सिडी की मांग
वाराणसी में पावरलूम बुनकरों की इस वक्त सबसे बड़ी मांग बिजली बिल में सब्सिडी को लेकर है जिसमें इस साल जनवरी से बदलाव कर दिए गए हैं। दरअसल पिछले साल दिसंबर योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने तय किया था कि अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने मीटर रीडिंग के हिसाब से बिल तैयार होगा और एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी।
'इतना ज्यादा बिल देंगे तो मजदूरों को क्या देंगे'
वाराणसी के शक्कर तालाब में रहने वाले शहंशाह कमाल ने बताया, 'जो बिजली का बिल हम अब तक महीने में 150 रुपये देते थे वो अब 2500 या 3000 रुपये तक आ जाएगा। यह तो मेरी जेब से जाना शुरू हो जाएगा। ऐसे में ना तो हम किसी को काम दे पाएंगे, न कोई कारीगर काम कर पाएगा और न वह अपना पेट पाल पाएगा।'
कमाल ने आगे बताया, 'लॉकडाउन खुलने के बाद धीरे-धीरे काम शुरू हुआ, तो लोग बकाया बिल जमा करने पहुंचे। लेकिन वहां कह दिया गया कि जनवरी से अब मीटर रीडिंग होगी और 10 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली का बिल लिया जाएगा। लॉकडाउन में वैसे ही बुनकरों के खाने के लाले पड़े थे और इससे वह और कर्ज में चला गया है।'
मुलायम सरकार ने दिया था फ्लैट रेट का तोहफा
बता दें कि 2006 में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की एसपी सरकार ने प्रदेश के बुनकरों को सब्सिडी के साथ फ्लैट बिजली रेट का गिफ्ट दिया था। योजना के तहत 0.5 हॉर्स पावर वाले लूम के लिए बुनकर से 65 रुपये चार्ज किया जाता थे वहीं एक हॉर्स पावर लूम के लिए बुनकर से 130 रुपये हर महीने लिए जाते थे। 10 साल तक बुनकरों को सब्सिडी का लाभ मिला लेकिन 2015-16 में योजना हथकरघा व वस्त्रोद्योग विभाग के हवाले हो गई।
हथकरघा विभाग पर करोड़ों का बकाया
बुनकरों को बिजली की सब्सिडी देने के लिए विभाग को सालाना 150 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है लेकिन बिजली रेट बढ़ने से सब्सिडी की धनराशि बढ़ते-बढ़ते सालाना 950 करोड़ रुपये पहुंच गई थी। इसकी वजह से 31 मार्च 2018 तक हथकरघा विभाग पर ऊर्जा विभाग का 3682 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया हो गया था। वहीं कई अनियमितताओं की खबर भी आई थी।
योगी कैबिनेट ने लिया फैसला
योगी सरकार ने पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति के चलते सब्सिडी के बढ़ते बोझ से निजात पाने और गलत इस्तेमाल रोकने के लिए योगी सरकार ने योजना में बदलाव करने का फैसला किया। इसके तहत अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने बिजली यूनिट की एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी। छोटे पावरलूम (0.5 हॉर्स पावर तक) को 120 यूनिट और बड़े पावरलूम (एक हॉर्स पावर तक) को 240 यूनिट हर महीने की सीमा तक 3.5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली रेट में छूट दी जाएगी।
पिछले दिनों वाराणसी के बुनकरों का एक प्रतिनिधित्व लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी मिला था। बुनकरों का कहना है कि उन्हें मदद का आश्वासन मिला लेकिन बात फिर वहीं अटक गई।
'हर किसी से बात की लेकिन बेनतीजा रही'
बुनकर उद्योग फाउंडेशन के महासचिव जुबैर आदिल ने बताया, 'पूरे यूपी के बुनकरों ने वर्चुअल माध्यम से हड़ताल का फैसला किया है। अगर सरकार ने मान ली तो हमें इसे वापस ले लेंगे नहीं तो जारी रखेंगे।' उन्होंने आगे कहा, 'हम इस संबंध में सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर कपड़ा मंत्री, ऊर्जा मंत्री और प्रमुख सचिव से बात कर चुके हैं लेकिन हर बार बातचीत बेनतीजा रही।'
'2006 वाला फ्लैट रेट कर दिया जाए'
जुबैर का कहना है, 'लॉकडाउन में तो सरकार ने कोई मदद नहीं की। पावरलूम में स्किल्ड लेबर हैं। इससे काफी विदेशी मुद्रा का अर्जन होता है। टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है। 12 हजार करोड़ रुपया जीएसटी सरकार को टेक्सटाइल से मिल रहा है लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।' जुबैर ने कहा, 'हमारी मांग है कि पावरलूम बुनकरों के लिए बिजली का फिक्स्ड रेट तय कर दिया जाए जैसे 2006 में था।'
सब्जी बेचकर गुजारा कर रहे हैं स्किल्ड बुनकर
कोरोना और लॉकडाउन ने बुनकरों के घाव और गहरे कर दिए हैं। आज की तारीख में स्किल्ड बुनकर घर चलाने के लिए सब्जियां बेच रहे हैं, ऑटो चला रहे हैं, छोटी-मोटी दुकानें चला रहे हैं। डोसीपुरा के रहने वाले शाहबाज आलम ने बताया, 'हम हर रोज 200-300 रुपये कमाने वाले लड़के हैं जिसमें पूरा परिवार चलाना होता है। हमारी कोई सेविंग नहीं होती है। बस जो पैसा आज आया उसी से आने वाला कल भी चलाना होता है।'
शहबाज ने आगे बताया, 'पिछले तीन महीने से कोई एक वक्त का खा रहा है, कोई किसी की मदद कर दे रहा है। लेकिन अब हालत इतनी खराब हो गई है कि वे भी दूसरे की मदद करने के लिए तैयार नहीं है। मुझे कर्ज लेकर अपनी दुकान खोलनी पड़ी।'
'घर चलाने के लिए गहने गिरवी रखने पड़ रहे'
कमाल बताते हैं, 'कपड़े का काम रीढ़ की हड्डी माना जाता है। देश-विदेश में नाम रौशन होता है लेकिन हमारे बारे में कोई कुछ नहीं सोचता है।' वह बताते हैं कि शक्कर तालाब में 15 फीसदी बुनकर काम छोड़कर सब्जी बेच रहे हैं तो कोई गहना गिरवी रखकर दुकान चला रहा है। कुछ लोग दो-तीन दिन तक घूमते रहते हैं कि कहीं कोई काम मिल जाए गड्ढा खोदने का या कुछ भी। हमारे इलाके के कुछ लड़के मुगलसराय तक गए कि कहीं काम मिल जाए।
'बुनकरों पर सरकार का ध्यान नहीं'
शहबाज के साथी कासिम भी दुविधा में हैं। उन्होंने बताया, 'यह हमारा पुश्तैनी काम है लेकिन कभी सोचा नहीं था कि ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा। आज हमारा काम आगे नहीं बढ़ रहा है। साड़ियां वैसे की वैसे ही पड़ी हैं। कोई खरीदार नहीं हैं। पैसे भी नहीं मिल रहे हैं। छोटी-मोटी दुकान चलाकर गुजारा कर रहे हैं। आगे क्या होगा कुछ पता नहीं।' जुबैर ने कहा, 'सरकार 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कर रही है लेकिन जो मशीनें, कल कारखाने, स्किल्ड लेबर पहले से हैं, उस पर ध्यान न देकर नई चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है ये एक चिंता का विषय है।'
'लूम बेचकर भरना पड़ेगा बिल'
कमाल बताते हैं, 'सबसे ज्यादा टेंशन बिजली के बिल को है लोगों को मशीन बेचकर बिजली का बिल भरने की नौबत आ गई है। वैसे एक मशीन सवा लाख रुपये की पड़ती है लेकिन अब लोग 40 से 50 हजार में बेच रहे हैं कि ताकि बिल जमा हो जाए।'
बुनकरों का कहना है कि पूरे प्रदेश में दो लाख 56 हजार से अधिक पावर लूम मशीन हैं। सरकार ने फैसला नहीं बदला तो इनका चल पाना संभव नहीं होगा।
--
The Chairperson
National Human Rights Commission
New Delhi
Respected Sir,
I want to bring in your attention towards the news published in Navbharat Times on 30 June, 2020 regarding भुखमरी के कगार पर वाराणसी के बुनकर, गहने-घर गिरवी रखकर पेट पालने को मजबूर, हड़ताल की तैयारी
Therefore it is a kind request please direct to the state Government for taking immediate appropriate action for providing relief to the weavers.
Thanking You
Sincerely Yours
Lenin Raghuvanshi, Convenor, Peoples' Vigilance Committee on Human Rights
Shruti Nagvanshi, Convenor, Voice of People
Idrish Ansari, President, Bunkar Dastakar adhikar Manch
Shirin Shabana Khan, Member coordination committee , Savitri Bai Phule Mahila Panchayat
Kartikey Shuka, National Convenor, Berojgar Yuwa Adhikar Manch (BYAS)
भुखमरी के कगार पर वाराणसी के बुनकर, गहने-घर गिरवी रखकर पेट पालने को मजबूर, हड़ताल की तैयारी
वाराणसी (Varanasi News) के पावरलूम बुनकरों ने (Power loom Weavers) फिक्स रेट को खत्म करके मीटर रीडिंग के माध्यम से भुगतान के फैसले के विरोध में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। बुनकरों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो हड़ताल जारी रहेगी।
facebooktwitteremail
Video: सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं काशी के बुनकर, हाल-बेहाल
चर्चित विडियो
हाइलाइट्स
वाराणसी- कभी बुनकर वाराणसी की शान थे लेकिन बीते कुछ महीनों से स्थिति बुरी हो गई है
- कोरोना और लॉकडाउन ने इनकी कमर तोड़ दी। पावरलूम और हैंडलूम बंद पड़े हैं
- कुछ ने कर्ज लेकर, गहने गिरवी रखकर छोटी दुकानें शुरू कर दी हैं ताकि गुजारा हो
- सरकार की अनदेखी से नाराज बुनकर करेंगे 1 से 7 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकरों की हालत बदहाल है। कभी बुनकर यहां की शान थे लेकिन बीते कुछ महीनों से स्थिति बुरी हो गई है। फिर कोरोना और लॉकडाउन ने इनकी कमर तोड़ दी। पावरलूम और हैंडलूम बंद पड़े हैं। बुनकर भुखमरी की कगार है। बुनकर मजदूर दूसरों की मदद के सहारे जी रहे हैं।
कई लोगों ने कर्ज लेकर और गहने गिरवी रखकर छोटी-मोटी दुकान शुरू कर दी है ताकि कुछ गुजारा हो सके। हालत यह है कि एक दिन अगर खाने का जुगाड़ हो भी जाए तो दूसरे दिन क्या होगा, कैसे होगा, इसका कुछ अंदाजा नहीं। अपनी बदहाली और सरकार की अनदेखी से नाराज बुनकरों ने 1 जुलाई से 7 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
बुनकरों ने की बिजली बिल में सब्सिडी की मांग
वाराणसी में पावरलूम बुनकरों की इस वक्त सबसे बड़ी मांग बिजली बिल में सब्सिडी को लेकर है जिसमें इस साल जनवरी से बदलाव कर दिए गए हैं। दरअसल पिछले साल दिसंबर योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने तय किया था कि अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने मीटर रीडिंग के हिसाब से बिल तैयार होगा और एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी।
'इतना ज्यादा बिल देंगे तो मजदूरों को क्या देंगे'
वाराणसी के शक्कर तालाब में रहने वाले शहंशाह कमाल ने बताया, 'जो बिजली का बिल हम अब तक महीने में 150 रुपये देते थे वो अब 2500 या 3000 रुपये तक आ जाएगा। यह तो मेरी जेब से जाना शुरू हो जाएगा। ऐसे में ना तो हम किसी को काम दे पाएंगे, न कोई कारीगर काम कर पाएगा और न वह अपना पेट पाल पाएगा।'
कमाल ने आगे बताया, 'लॉकडाउन खुलने के बाद धीरे-धीरे काम शुरू हुआ, तो लोग बकाया बिल जमा करने पहुंचे। लेकिन वहां कह दिया गया कि जनवरी से अब मीटर रीडिंग होगी और 10 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली का बिल लिया जाएगा। लॉकडाउन में वैसे ही बुनकरों के खाने के लाले पड़े थे और इससे वह और कर्ज में चला गया है।'
मुलायम सरकार ने दिया था फ्लैट रेट का तोहफा
बता दें कि 2006 में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की एसपी सरकार ने प्रदेश के बुनकरों को सब्सिडी के साथ फ्लैट बिजली रेट का गिफ्ट दिया था। योजना के तहत 0.5 हॉर्स पावर वाले लूम के लिए बुनकर से 65 रुपये चार्ज किया जाता थे वहीं एक हॉर्स पावर लूम के लिए बुनकर से 130 रुपये हर महीने लिए जाते थे। 10 साल तक बुनकरों को सब्सिडी का लाभ मिला लेकिन 2015-16 में योजना हथकरघा व वस्त्रोद्योग विभाग के हवाले हो गई।
हथकरघा विभाग पर करोड़ों का बकाया
बुनकरों को बिजली की सब्सिडी देने के लिए विभाग को सालाना 150 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है लेकिन बिजली रेट बढ़ने से सब्सिडी की धनराशि बढ़ते-बढ़ते सालाना 950 करोड़ रुपये पहुंच गई थी। इसकी वजह से 31 मार्च 2018 तक हथकरघा विभाग पर ऊर्जा विभाग का 3682 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया हो गया था। वहीं कई अनियमितताओं की खबर भी आई थी।
योगी कैबिनेट ने लिया फैसला
योगी सरकार ने पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति के चलते सब्सिडी के बढ़ते बोझ से निजात पाने और गलत इस्तेमाल रोकने के लिए योगी सरकार ने योजना में बदलाव करने का फैसला किया। इसके तहत अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने बिजली यूनिट की एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी। छोटे पावरलूम (0.5 हॉर्स पावर तक) को 120 यूनिट और बड़े पावरलूम (एक हॉर्स पावर तक) को 240 यूनिट हर महीने की सीमा तक 3.5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली रेट में छूट दी जाएगी।
पिछले दिनों वाराणसी के बुनकरों का एक प्रतिनिधित्व लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी मिला था। बुनकरों का कहना है कि उन्हें मदद का आश्वासन मिला लेकिन बात फिर वहीं अटक गई।
'हर किसी से बात की लेकिन बेनतीजा रही'
बुनकर उद्योग फाउंडेशन के महासचिव जुबैर आदिल ने बताया, 'पूरे यूपी के बुनकरों ने वर्चुअल माध्यम से हड़ताल का फैसला किया है। अगर सरकार ने मान ली तो हमें इसे वापस ले लेंगे नहीं तो जारी रखेंगे।' उन्होंने आगे कहा, 'हम इस संबंध में सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर कपड़ा मंत्री, ऊर्जा मंत्री और प्रमुख सचिव से बात कर चुके हैं लेकिन हर बार बातचीत बेनतीजा रही।'
'2006 वाला फ्लैट रेट कर दिया जाए'
जुबैर का कहना है, 'लॉकडाउन में तो सरकार ने कोई मदद नहीं की। पावरलूम में स्किल्ड लेबर हैं। इससे काफी विदेशी मुद्रा का अर्जन होता है। टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है। 12 हजार करोड़ रुपया जीएसटी सरकार को टेक्सटाइल से मिल रहा है लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।' जुबैर ने कहा, 'हमारी मांग है कि पावरलूम बुनकरों के लिए बिजली का फिक्स्ड रेट तय कर दिया जाए जैसे 2006 में था।'
सब्जी बेचकर गुजारा कर रहे हैं स्किल्ड बुनकर
कोरोना और लॉकडाउन ने बुनकरों के घाव और गहरे कर दिए हैं। आज की तारीख में स्किल्ड बुनकर घर चलाने के लिए सब्जियां बेच रहे हैं, ऑटो चला रहे हैं, छोटी-मोटी दुकानें चला रहे हैं। डोसीपुरा के रहने वाले शाहबाज आलम ने बताया, 'हम हर रोज 200-300 रुपये कमाने वाले लड़के हैं जिसमें पूरा परिवार चलाना होता है। हमारी कोई सेविंग नहीं होती है। बस जो पैसा आज आया उसी से आने वाला कल भी चलाना होता है।'
शहबाज ने आगे बताया, 'पिछले तीन महीने से कोई एक वक्त का खा रहा है, कोई किसी की मदद कर दे रहा है। लेकिन अब हालत इतनी खराब हो गई है कि वे भी दूसरे की मदद करने के लिए तैयार नहीं है। मुझे कर्ज लेकर अपनी दुकान खोलनी पड़ी।'
'घर चलाने के लिए गहने गिरवी रखने पड़ रहे'
कमाल बताते हैं, 'कपड़े का काम रीढ़ की हड्डी माना जाता है। देश-विदेश में नाम रौशन होता है लेकिन हमारे बारे में कोई कुछ नहीं सोचता है।' वह बताते हैं कि शक्कर तालाब में 15 फीसदी बुनकर काम छोड़कर सब्जी बेच रहे हैं तो कोई गहना गिरवी रखकर दुकान चला रहा है। कुछ लोग दो-तीन दिन तक घूमते रहते हैं कि कहीं कोई काम मिल जाए गड्ढा खोदने का या कुछ भी। हमारे इलाके के कुछ लड़के मुगलसराय तक गए कि कहीं काम मिल जाए।
'बुनकरों पर सरकार का ध्यान नहीं'
शहबाज के साथी कासिम भी दुविधा में हैं। उन्होंने बताया, 'यह हमारा पुश्तैनी काम है लेकिन कभी सोचा नहीं था कि ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा। आज हमारा काम आगे नहीं बढ़ रहा है। साड़ियां वैसे की वैसे ही पड़ी हैं। कोई खरीदार नहीं हैं। पैसे भी नहीं मिल रहे हैं। छोटी-मोटी दुकान चलाकर गुजारा कर रहे हैं। आगे क्या होगा कुछ पता नहीं।' जुबैर ने कहा, 'सरकार 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कर रही है लेकिन जो मशीनें, कल कारखाने, स्किल्ड लेबर पहले से हैं, उस पर ध्यान न देकर नई चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है ये एक चिंता का विषय है।'
'लूम बेचकर भरना पड़ेगा बिल'
कमाल बताते हैं, 'सबसे ज्यादा टेंशन बिजली के बिल को है लोगों को मशीन बेचकर बिजली का बिल भरने की नौबत आ गई है। वैसे एक मशीन सवा लाख रुपये की पड़ती है लेकिन अब लोग 40 से 50 हजार में बेच रहे हैं कि ताकि बिल जमा हो जाए।'
बुनकरों का कहना है कि पूरे प्रदेश में दो लाख 56 हजार से अधिक पावर लूम मशीन हैं। सरकार ने फैसला नहीं बदला तो इनका चल पाना संभव नहीं होगा।
वाराणसी बुनकर (फाइल फोटो)
--
People's Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR)
An initiative of Jan Mitra Nyas ISO 9001:2008
SA 4/2 A Daulatpur, Varanasi - 221002 India
Email: cfr.pvchr@gmail.com
Website: www.pvchr.asia
Blog: http://pvchr.blogspot.in/, https://testimony-india.blogspot.in/
Like us on facebook: http://www.facebook.com/pvchr
This message contains information which may be confidential and privileged. Unless you are the addressee or authorised to receive for the addressee, you may not use, copy or disclose to anyone the message or any information contained in the message. If you have received the message in error, please advise the sender by reply e-mail to cfr.pvchr@gmail.comand delete the message. Thank you.
No comments:
Post a Comment