Tuesday, August 4, 2020

बनारस पुलिस की संवेदनहीनता ने ले ली एक युवक की जान


From: PVCHR Communication <cfr.pvchr@gmail.com>
Date: Tue, Aug 4, 2020 at 11:08 AM
Subject: बनारस पुलिस की संवेदनहीनता ने ले ली एक युवक की जान
To: cr.nhrc <cr.nhrc@nic.in>, covdnhrc <covdnhrc@nic.in>, NHRC <ionhrc@nic.in>
Cc: lenin <lenin@pvchr.asia>



To, 
The Chairperson 
National Human Rights Commission 
New Delhi

Respected Sir, 

I want to bring in your kind attention towards the news published in Kaashi Live on 2 August, 2020 regarding बनारस पुलिस की संवेदनहीनता ने ले ली एक युवक की जान https://www.kashilive.com/Insensitivity-of-Banaras-Police-killed-a-young-man

Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest. 

Thanking You


Sincerely Yours


Lenin Raghuvanshi

Convenor 

Peoples' Vigilance Committee on Human Rights 


बनारस पुलिस की संवेदनहीनता ने ले ली एक युवक की जान

बनारस पुलिस की संवेदनहीनता ने ले ली एक युवक की जान
2 अगस्त 2020

वाराणसी। काशी लाइव

पुलिस की संवेदनहीनता के मामले रोज प्रकाश में आते हैं। ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का है। यहां पर एक युवक अपनी पत्नी और बच्चों को खोजने के लिए पुलिस से गुहार लगाता रहा लेकिन उसकी नहीं सुनी गई। हर बार उसे थाने और चौकी जाने पर निराशा ही हाथ लगी। रविवार को युवक ने नदेसर रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। लोगों का कहना है कि पत्नी व बच्चों के गायब होने के बाद से वह परेशान था और पुलिस की मदद नहीं करने के कारण उसने आत्महत्या की है।

मूल रुप से बिहार निवासी रंजीत राम पेशे से मजदूर था। वह पांडेय नई बस्ती में शम्भू यादव के किराए के मकान में पत्नी अनिता (34), कन्हैया (8), पुत्री आशा (3) के साथ रहकर जीविकोपार्जन करता था। 30 जून वर्ष 2020 को पत्नी दोनों बच्चो संग लापता हो गयी। इसके बाद रंजीत पत्नी और बच्चों की तलाश करने का हरसम्भव प्रयास किया। इसके बाद जब कोई सफलता नहीं मिली तो उसने स्थानीय पुलिस से गुहार लगाई। लेकिन पुलिसिया संवेदनहीनता के चलते तलाश तो दूर की बात गुमशुदगी भी दर्ज नहीं की गई। निराश होकर रंजीत ने अगस्त को नदेसर चौकाघाट रेलवे ट्रेक पर कूदकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। सूचना पर पहुंची जीआरपी व कैन्ट पुलिस ने जब शव को कब्जे में लेकर शिनाख्त का प्रयास किया तो मामला संज्ञान में आया।

गुमशुदगी तक नहीं दर्ज की गई

मृतक रंजीत ने लालपुर-पांडेयपुर थाने पर 18 जुलाई को प्रार्थना पत्र देकर पत्नी बच्चों को खोजने की गुहार लगाई। पीड़ित की ओर से दी गई तहरीर पर कोई नहीं कार्रवाई की गई। अब थानाध्यक्ष लालपुर-पांडेयपुर तहरीर मिलने से ही इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि मामला संज्ञान में नहीं है। जबकि सूत्रों ने बताया कि पीड़ित आठ से दस बार थाने गया था और थानाध्यक्ष भी उससे मिले थे।

मकान से कर दिया था बाहर

बीबी व बच्चों के गायब होने के बाद मकान मालिक रंजित के कमरे में ताला लगा दिया था। इसकी भी गुहार लेकर पीड़ित थाने पहुंचा था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। नतीजा हताश व निराश रंजीत ने जान देने का फैसला लिया और ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी।

सीओ कैंट ने ये कहा-

पूरे मामले में सीओ कैंट मोहम्मद मुश्ताक का कहना है कि मामला पारिवारिक विवाद का था, जिसमें पत्नी कहीं चली गई थी। वहीं किराएदार की ओर से मकान से निकालने की जानकारी नहीं है। मामले की जांच कराई जाएगी।  
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