Friday, July 22, 2011

दोहरे एनकाउंटर पर कटघरे में पुलिस

To
The Chairperson
NHRC
New Delhi.
Sir,
Greetings from PVCHR.
Please refer to the following news :
दोहरे एनकाउंटर पर कटघरे में पुलिस
Jul 22, 10:37 pm
बताएं   DAINIK JAGRAN
आगरा, राहुल सिंघई: 17 फरवरी 2010 की शाम ताजगंज के गंगरउआ मोड़ पर एनकाउंटर की कहानी कठघरे में है। मारे गए दो बदमाशों के परिजनों और एसओजी के बयानों में मजिस्ट्रेटी जांच में जबरदस्त विरोधाभास पाया गया। साथ ही पुलिस उन गवाहों को न्यायालय नहीं ला पाई, जिन्होंने पुलिस की कहानी के लिए शपथ पत्र दाखिल किए थे। लगभग छह महीने तक चली मजिस्ट्रेटी जांच के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने एनकाउंटर की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की संस्तुति की है। 'जागरण' ने इस एनकाउंटर पर सवालिया निशान लगाए थे।
कहानी एसओजी एनकाउंटर की ताजगंज थाने में दर्ज रिपोर्ट में एसओजी टीम ने बताया कि शाम लगभग 5.30 बजे शमसाबाद रोड से एक बाइक पर दो बदमाशों के आने की सूचना थी। पीछा करने पर दोनों भागने लगे। बाइक छोड़कर खेत में भागते हुए बदमाशों ने फायरिंग की, जिसमें एक सिपाही शीलेन्द्र घायल हो गया। दोनों तरफ से फायरिंग हुई। फायरिंग थमने के बाद दो बदमाश पड़े थे, जिनमें एक की मौत हो गई थी, दूसरे की सांसें चल रही थीं। बाद में उसकी भी मौत हो गई। अगले दिन उनकी शिनाख्त विष्णु गौतम पुत्र मुकेश गौतम निवासी दुर्गा नगर नगला पदी और गुरुदेव उर्फ गुरुआ पुत्र जगदीश निवासी रामबल एत्माद्दौला थाना के रूप में हुई।
जांच में किसने क्या कहा मजिस्ट्रेटी जांच में विष्णु गौतम की बहन प्रिया और मां मधु गौतम ने कहा कि 16 फरवरी की रात 11 बजे एसओजी की टीम घर पहुंची। एक सिपाही आया और विष्णु व उसके भाई मणिकांत को जगाने को कहा। जब दोनों आए तो टीम उन्हें अपने साथ ले गई। दो दिन बाद पता चला कि विष्णु एनकाउंटर में मारा गया और मणिकांत का कोई पता नहीं चला।
गुरुदेव उर्फ गरुआ के भाई जितेन्द्र ने बयान दिए कि 17 फरवरी की शाम 5 बजे सादा वर्दी में एसओजी के दो सिपाही आए। घर से थोड़ी दूर पर टाटा सूमो स्टार्ट खड़ी थी। पूछताछ के नाम पर गुरुदेव को ले गए और अगले दिन एनकाउंटर की सूचना मिली।
वहीं एसओजी प्रभारी शैलेष कुमार सिंह, एसआइ उदय प्रताप, कांस्टेबल रामरज पाल, करतार सिंह, उपेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह, विनोद कुमार, आरिफ, निरोती लाल, रियाजुउद्दीन, कैलाश, रविन्द्र चौबे ने एक सी कहानी सुनाई।
शपथ पत्र देकर भी नहीं पहुंचे पुलिस के सपोर्टर मजिस्ट्रेटी जांच में जनता के लोगों में से संदीप कुमार निवासी विजयनगर, रविन्दर पाल विभवनगर, रामवीर, हरिओम, सुरेन्द्र, सुभाष, घूरे लाल निवासी हाकिमपुरा मलपुरा, रोशन लाल खेरा पचगाई, विक्रम खेरा पचगाई, रामशंकर ताजगंज, रामभरोसी अछनेरा ने शपथ पत्र दिए थे। मगर कोई भी बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचा।
रिपोर्ट की संस्तुति सिटी मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि परिजनों के बयानों में समानता है कि दोनों को पुलिस घर से बुलाकर ले गई थी। पुलिस टीम ने प्रथम सूचना रिपोर्ट की पुष्टि की है। न्यायालय में उपस्थित न होने वाले साक्षियों के शपथपत्र पर विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसे में इस मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की आवश्यकता है।
Sir this is a serious case of human rights violation. On behalf of PVCHR, I request you to ask the state government for instituting a Judicial magistratial inquiry .PVCHR demands that the victims family must be provided with financial compensation immediately.

With regards,

Dr. Lenin
Secretary General -PVCHR

SA 4/2 A, Daulatpur, Varanasi-221002
Mobile:+91-9935599333

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